सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने में कोताही बरत रहे हैं सरायपाली क्षेत्र के शिक्षा विभाग के अधिकारी।
सरायपाली। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने में सरायपाली विकासखण्ड़ शिक्षा अधिकारी द्वारा कोताही बरतते हुए कार्यालय में जारी भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार विकासखण्ड़ शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यालयीन कर्मचारियों के यात्रा भत्ता, अप्रेल 2018 से फरवरी 2022 तक केशबुक, ट्रेजरी बिल, बीटीआर रजिस्टर, कार्यालयीन स्टाक पंजी, कार्यालयीन बैंक खातो का डिटेल सहित सेवानिवृत्त शिक्षको के सेवानिवृत्ति पर न जांच न मांग से जुड़े दस्तावेजों की प्रमाणित छायाप्रति अलग-अलग आवेदन से चाही गई थी। अप्रेल माह में प्रस्तुत आवेदन पर विकासखण्ड़ शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ जनसूचना अधिकारी प्रकाशचंद्र मांझी द्वारा कोई जानकारी नही दिए जाने पर आवेदक सौरभ गोयल द्वारा प्रथम अपील प्रस्तुत कर जानकारी की मांग की गई। जिस पर प्रथम अपीलीय एवं जिला शिक्षा अधिकारी एस चंद्रसेन ने 14 जुलाई को जनसूचना अधिकारी को आदेश पत्र जारी कर आवेदक को एक सप्ताह में निःशुल्क जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया था। परंतु जनसूचना अधिकारी प्रकाश चंद्र मांझी ने जानकारी देने से बचने के लिए अपने उच्चाधिकारी के आदेश को दरकिनार कर अपने उच्चाधिकारी को पत्र प्रेषित कर एक वर्ष की जानकारी एक आवेदन में दिए जाने का उल्लेख करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को बौना साबित कर दिया गया। जबकि ऐसे ही आवेदन पत्रों में बसना विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जानकारी प्रदाय की जा रही है। ऐसे में दोनो जन सूचना अधिकारियों में गलत कौन है यह जांच का विषय हो सकता है परंतु राज्य सूचना आयोग द्वारा एक आवेदन में एक विषय वस्तु का हवाला दिया जाता है ना कि एक वर्ष को विषय वस्तु के रूप में माना गया है। जिसे लेकर सरायपाली बीईओं प्रकाश चंद्र मांझी द्वारा सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी नही दिए जाने के पीछे भ्रष्टाचार को प्रमुख कारण माना जा रहा हैं। ऐसे में आवेदक द्वारा जानकारी के लिए राज्य सूचना आयोग का रूख अख्तियार करते हुए विभाग के संचालक सुनील कुमार जैन को पत्र लिखकर सरायपाली विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सेवानिवत्त शिक्षको में कुछ शिक्षको को ऋणात्मक भुगतान किए जाने जिससे शासन के कोष में क्षति पंहुचने, बिजली बिल की राशि के गलत आहरण व उसके मनमाने उपयोग सहित मध्यान्ह भोजन में किए गए बड़े पैमाने में भ्रष्टाचार को लेकर जाचं व कार्रवाई की मांग की गई हैं। जिस पर वर्तमान बीईओं के कार्यकाल सहित पूर्व बीईओं के संलिप्तता को लेकर भी जांच टीम के समक्ष मय दस्तावेजी बयान लिए जाने की मांग की गई है। बहरहाल भ्रष्टाचार को लेकर सूचना के अधिकार कानून से घबराए अधिकारियों द्वारा जानकारी देने से बचने के लिए तरह-तरह के मामले आए दिन सामने आने के बाद भी प्रथम अपीलीय अधिकारियों द्वारा जनसूचना अधिकारियों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाना प्रमुख कारण माना जा रहा है।
बाक्स मेटर
जानकारी देने से बचने के साथ जनसूचना अधिकारी एवं विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी प्रकाश चंद्र मांझी ने मोबाईल पर संर्पक करने पर कहा कि एक वर्ष की जानकारी दे दी गई है। जबकि केवल एक पन्ने का जिला शिक्षा अधिकारी के नाम पर जारी पत्र में आवेदक को सूचना पर दी गई है और एक भी वर्ष की जानकरी संलग्न नही होने की बात कहने पर उनके द्वारा जानकारी दे दिए जाने का झूठ कहा गया। वहीं एक आवेदन में एक वर्ष की जानकारी ली जा सकती है इस हेतु जारी किसी प्रकार के कोई आदेश-निर्देश की जानकारी मांगे जाने पर वे निरूत्तर हो गए।