
आपातकाल की 50वीं बरसी पर लोकतंत्र की हुंकार: “संविधान का गला घोंटकर कांग्रेस ने पहना था सत्ता का ताज ” – संपत अग्रवाल
आपातकाल की 50वीं बरसी पर लोकतंत्र की हुंकार: बसना में दहाड़े विधायक डॉ. संपत अग्रवाल, बोले- “कांग्रेस ने संविधान का गला घोंटकर सत्ता का ताज पहना था”
“25 जून 1975 की रात सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खून से सनी वह स्याही है, जिससे तानाशाही का अध्याय लिखा गया था” – डॉ. संपत अग्रवाल
बसना। बसना में आज लोकतंत्र की रक्षा की एक नई हुंकार गूंजी। विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “25 जून 1975 की रात भारतीय गणराज्य की आत्मा पर हमला हुआ था, संविधान को हथकड़ी पहनाई गई थी और न्याय, अभिव्यक्ति और स्वाभिमान को जेल में ठूंसा गया था।”
डॉ. अग्रवाल का भाषण भावनाओं का विस्फोट था—जहां उन्होंने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पर तीखे हमले करते हुए कहा,
“‘इंडिया इज़ इंदिरा’ कहना लोकतंत्र के शव पर राजनीति का ठहाका था। वह रात केवल विरोधियों की गिरफ्तारी नहीं थी, बल्कि यह लोकतंत्र का बलात्कार था।”
“तानाशाही का वो दौर मत भूलो, जब अखबार काले थे और स्याही में डर घुला था”
विधायक श्री. अग्रवाल ने कहा कि – “आपातकाल केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं था, वह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा धोखा था—जहां जनता की आवाज़ को मीसा और डीआईआर जैसे काले कानूनों में कुचल दिया गया।”
उन्होंने बताया कि मीसा कानून के तहत 1.40 लाख से अधिक देशभक्तों को बंदी बनाया गया, जिनका कसूर सिर्फ इतना था कि वे ‘सत्ता’ के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं थे।
कांग्रेस का अतीत — दमन, डर और लोकतंत्र की लाश पर सत्ता की चांदी
डॉ. अग्रवाल ने दो टूक कहा कि वो कांग्रेस आज भी माफी मांगने की हिम्मत नहीं रखती। आज के युवाओं को बताना होगा कि संविधान में तालाबंदी कांग्रेस की परंपरा है।”
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि “यदि आप इतिहास से नहीं सीखते, तो लोकतंत्र को खो देने की सज़ा भुगतने को तैयार रहिए।”
भाजपा का संकल्प: अब कोई आपातकाल नहीं, अब जनता बोलेगी, नेता सुनेंगे
भाजपा विधायक डॉ. अग्रवाल ने ऐलान किया कि “अब हम उस दौर को वापस नहीं आने देंगे। हम उस स्याह तारीख को हमेशा के लिए इतिहास में दफना देंगे। भारत अब बदल चुका है – नोटबंदी, GST और कोविड जैसी चुनौतियों ने जनता को और अधिक जागरूक, संगठित और सशक्त बना दिया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “आज की जनता सवाल पूछती है और जवाब मांगती है। यही लोकतंत्र है – और यही उसकी असली ताकत है।”
एक पुकार – युवा जागो! लोकतंत्र की रखवाली अब तुम्हारा कर्तव्य है
कार्यक्रम के अंत में डॉ. अग्रवाल ने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि “तानाशाही की विरासत को पहचानो। मत भूलो वो दिन, जब संविधान को कैद कर दिया गया था। लोकतंत्र किसी एक सरकार की देन नहीं, यह संघर्ष और बलिदान की जमीन से उगा वटवृक्ष है – जिसकी छांव आज हम सबको मिल रही है।”
आपातकाल की बरसी पर बसना से उठा यह स्वर, सिर्फ एक भाषण नहीं था—यह चेतावनी थी, इतिहास को दोहराने की हर कोशिश को कुचलने की।
यह याद दिलाने की कोशिश थी कि लोकतंत्र यदि सो गया, तो तानाशाही फिर से दरवाज़ा खटखटाएगी।