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रेत माफियाओं का गढ़ बना बरबसपुर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बोले— छत्तीसगढ़ में नहीं, जैसे राजस्थान में आ गए हों!

रेत माफियाओं का गढ़ बना बरबसपुर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बोले— छत्तीसगढ़ में नहीं, जैसे राजस्थान में आ गए हों!

महासमुंद।
छत्तीसगढ़ में बेलगाम रेत माफियाओं की दबंगई अब शासन-प्रशासन की नाकामी को उजागर कर रही है। गोलीकांड, चाकूबाजी और मारपीट की घटनाओं के बाद अब बरबसपुर रेत घाट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पहुंचकर अवैध रेत भंडारण का भंडाफोड़ किया। निरीक्षण के बाद उन्होंने सरकार और प्रशासन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश में जंगलराज की स्थिति है और रेत माफियाओं को खुला संरक्षण मिल रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष का आरोप – ‘‘सरकार-माफिया गठजोड़ ने बना दिया है रेत का साम्राज्य’’

निरीक्षण के दौरान छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व संसदीय सचिव व पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर, जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती रश्मि चंद्राकर, नगरपालिका अध्यक्ष निखिलकांत साहू, युवा कांग्रेस जिला अध्यक्ष अमन चंद्राकर समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
दीपक बैज ने मीडिया से कहा, “बरबसपुर में 50 से 100 एकड़ तक रेत का अवैध पहाड़ खड़ा है, लेकिन प्रशासन गहरी नींद में सोया है। ऐसा लग रहा है जैसे हम छत्तीसगढ़ में नहीं, राजस्थान के किसी माफिया-शासित इलाके में आ गए हैं।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से ले रही है और आगामी विधानसभा सत्र में इसे ज़ोरदार तरीके से उठाएगी।

08 हजार की अनुमति, 62 हजार घन मीटर रेत का अवैध भंडारण— लापरवाही या मिलीभगत?

बरबसपुर में केवल तीन लोगों को 8,000 घन मीटर रेत भंडारण की अनुमति दी गई थी, मगर हकीकत में 62,000 घन मीटर रेत भंडारित पाया गया। खनिज विभाग ने 43 निजी और 14 शासकीय भूखंडों पर कार्रवाई करते हुए 2.18 करोड़ रुपए का अर्थदंड लगाया है और दी गई अनुज्ञाएं भी रद्द कर दी गई हैं।

खनिज विभाग की खानापूर्ति— अब बनाएंगे अस्थायी चौकी

खनिज अधिकारी देवेंद्र साहू ने बताया कि माफियाओं से रेत को बचाने गश्त जारी है और जल्द ही अस्थायी चौकी बनाई जाएगी। मगर सवाल यह है कि जब तक रेत का पहाड़ खड़ा हो गया, तब तक विभाग आंखें मूंदे क्यों बैठा था?

प्रशासनिक चूक या सुनियोजित मिलीभगत?

बरबसपुर तो केवल एक उदाहरण है—महासमुंद जिले में 17 अन्य स्थानों पर रेत भंडारण की अनुमति दी गई है। यदि हर जगह इसी तरह की अंधाधुंध लूट मची है, तो यह केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था पर गंभीर सवालिया निशान है।

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