
पहली तारीख़ पर तस्करी का पर्दाफाश – 11 किलो गांजा के साथ तीन अंतरराज्यीय तस्कर सलाखों के पीछे…
सरायपाली । आज सितंबर 2025 की पहली तारीख है। सुबह का वक्त… आसमान में हल्की धुंध और बादलों के बीच से छनकर आती धूप। एनएच–53 पर गाड़ियों की आवाजाही वैसे तो रोज़ की तरह थी, लेकिन सड़क के किनारे खड़े पुलिस जवानों की आंखों में आज अलग ही चमक थी। उन्हें पता था कि कुछ बड़ा होने वाला है।


एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स और सिंघोड़ा पुलिस को एक पुख्ता खबर मिली थी—“एक सफेद XUV में बैठकर तीन लोग गांजे की खेप लेकर उड़ीसा से निकल चुके हैं और छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रहे हैं।”
सूचना इतनी सटीक थी कि टालना नामुमकिन। तुरंत ही योजना बनी—ग्राम गनियारीपाली के पास सिल्की ढाबा के सामने नाकाबंदी।
जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। सड़क पर हेडलाइट्स की चमक दिखते ही सबकी निगाहें तेज़ हो उठतीं। हर गाड़ी की जांच होती। हवा में अजीब-सी खामोशी थी—मानो समय खुद भी रुक गया हो।
और तभी… दूर से एक सफेद XUV RJ 25 UB 0012 आती दिखी। गाड़ी बिल्कुल वैसी ही थी, जैसी मुखबिर ने बताई थी। पुलिस ने इशारा कर गाड़ी रोकी। गाड़ी धीमे-धीमे रुकी, लेकिन ड्राइवर की आंखों में साफ़ घबराहट झलक रही थी।
गाड़ी में तीन लोग थे—
- दीपक शर्मा (39 वर्ष, जिला बारा, राजस्थान)
- सुरेंद्र कुमार (34 वर्ष, जिला बारा, राजस्थान)
- महावीर सेन (35 वर्ष, जिला बारा, राजस्थान)
पहले तो तीनों ने बड़े आत्मविश्वास से कहा—“हम तो बस सफर कर रहे हैं, कोई गलत काम नहीं किया।” लेकिन पुलिस की पैनी नज़र और सख्त सवालों के सामने उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगा।
जब जवानों ने डिक्की खुलवाई तो रहस्य खुल गया।
डिक्की से एक प्लास्टिक बोरी निकली और उसमें छुपा था गंभीर अपराध का सबूत—11 किलो गांजा।
जैसे ही बोरी बाहर निकली, तीनों तस्करों के चेहरे पीले पड़ गए। पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया—“यह खेप फुलवानी, उड़ीसा से लाई गई थी और इसे राजस्थान ले जाना था।”
पुलिस ने सिर्फ गांजा ही नहीं पकड़ा, बल्कि ₹1,80,000 मूल्य का गांजा, ₹5,00,000 कीमती XUV कार और ₹30,500 कीमत के चार मोबाइल भी जब्त किए। कुल मिलाकर ₹7,10,500 की अवैध सम्पत्ति पुलिस के कब्जे में आई।
आरोपियों के खिलाफ NDPS Act की धारा 20(ब) के तहत मामला दर्ज हुआ और उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
यह सिर्फ गिरफ्तारी नहीं थी, बल्कि एक संदेश था—
तस्कर कितने भी शातिर क्यों न हों, पुलिस की नाकाबंदी और कानून की पकड़ से बचना नामुमकिन है। आगे भी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स और सिंघोड़ा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।
आज की यह कहानी सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उन तमाम तस्करों के लिए चेतावनी है जो सोचते हैं कि अपराध की सड़क उन्हें मुनाफा दिलाएगी। अब उनकी हर राह पर कानून का साया खड़ा होगा।
क
