
“घोड़ारी तालाब का रहस्य: प्यार, दोस्ती और फरेब के त्रिकोण ने लिखी खून की पटकथा”
प्यार, दोस्ती और फरेब का खूनी खेल
सितंबर 2024 की ठंडी सुबह… महासमुंद के घोड़ारी तालाब की शांत लहरें अचानक एक डरावना राज़ खोल देती हैं। पानी में तैरता हुआ एक लाश का हिस्सा उस पूरे इलाके को सन्न कर देता है। न नाम, न पहचान—बस एक अज्ञात शव। पुलिस ने शव उठाया, दफनाया, लेकिन कहानी अधूरी रही।

साल भर तक यह राज दफन रहा। मगर कहते हैं, सच किसी न किसी रास्ते से बाहर निकल ही आता है।
तीन महीने बाद गुमशुदगी, तब जाकर खुली पहली परत
रायपुर के खम्हारडीह इलाके से जनवरी 2025 में एक गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज होती है—आकाश नाम का एक युवक गायब है। तीन महीने पहले तक उसकी तलाश नहीं की गई थी, क्योंकि परिवार को लगता था कि वह अपनी प्रेमिका लवली के साथ कहीं बस गया होगा। पर किसे पता था कि उनकी उम्मीदें अब केवल मायूसियों में बदलने वाली थीं।
आकाश, लवली और अभिनव का तिकोन
कहानी की जड़ें 2023 तक जाती हैं। आकाश और अभिनव, दोनों दोस्त। हादसे के बाद हुई मुलाकात ने दोस्ती का रिश्ता गढ़ा। आकाश अक्सर अभिनव के घर आने-जाने लगा। लेकिन वही घर उसकी बर्बादी का कारण बन गया।
अभिनव की गर्लफ्रेंड लवली से आकाश की नजदीकियां बढ़ीं और अगस्त 2024 में दोनों ने घर से भागकर शादी कर ली। यह रिश्ता किसी फिल्मी स्क्रिप्ट की तरह था—प्यार, बगावत और भाग जाना। मगर इसने जलन और विश्वासघात की चिंगारी को जन्म दिया।
अभिनव की आंखों में बदले की आग सुलग उठी। लवली के पिता और भाई भी उसी आग में शामिल हुए, क्योंकि अभिनव ही लवली के नाम से फ्लैट और खर्चे उठाता था। उनके लिए आकाश सिर्फ बाधा था।
मौत का जाल
25 सितंबर 2024… लवली के पिता ने आकाश और लवली को अभिनव के घर बुलाया। आकाश अनजान था कि यह बुलावा मौत का न्योता है। घर के भीतर माहौल बिगड़ा। पहले बहस, फिर हाथापाई और आखिरकार कत्ल।
अभिनव, लवली का पिता अभिलाख और उसके भाई गौरव-वीरू ने मिलकर आकाश को पीट-पीटकर मार डाला।
लाश की सफरगाथा
कत्ल के बाद शव को छुपाना जरूरी था। एक स्कूटी पर आकाश की निर्जीव देह रखी गई। रात के अंधेरे में वह महासमुंद की तरफ निकले। अभिनव पहले से घोड़ारी तालाब का इलाका देख चुका था, इसलिए उसी जगह को चुना गया। 27 सितंबर को पानी ने शव को बाहर ला दिया और पुलिस के सामने रहस्य का एक नया ताला खड़ा कर दिया।
साजिश का छलावा
हत्या के बाद लवली ने चालाकी से आकाश की बुआ के घर जाकर सामान समेटा और पिता-भाइयों के साथ यूपी के जालौन लौट गई। वह बीच-बीच में सोशल मीडिया पर आकाश के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें डालती रही, ताकि सबको लगे दोनों साथ हैं। इस नाटक ने पुलिस को भी महीनों तक गुमराह किया।
पुलिस की मेहनत और सच की जीत
2025 में कोतवाली पुलिस ने राज्य स्तरीय क्राइम डेटा खंगाला। आकाश के हुलिए से मिलती जानकारी रायपुर की गुमशुदगी रिपोर्ट से जुड़ गई। फिर जांच की दिशा बदल गई। लवली को पिरदा स्थित उसके घर से उठाया गया। पूछताछ में उसका चेहरा ही सब बयां कर गया। उसने कबूल किया—आकाश की हत्या उसके पुराने आशिक अभिनव, पिता और भाइयों ने मिलकर की थी।
एक साल बाद मिला न्याय
24 सितंबर 2025 को कब्र खोली गई। वह शव, जो कभी “अज्ञात” था, अब आकाश के रूप में पहचाना गया। पुलिस ने बॉडी उसके परिजनों को सौंप दी। एक साल तक इंतजार के बाद परिवार को बेटे का अंतिम संस्कार करने का अवसर मिला।
अब सुलगता है कानून का शिकंजा
लवली सिंह, अभिनव सिंह, अभिलाख सिंह, गौरव और वीरू—सभी गिरफ्तार हैं। हत्या, षड्यंत्र और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में मामला दर्ज हो चुका है।
यह कहानी सिर्फ एक प्रेम त्रिकोण की नहीं, बल्कि प्यार, दोस्ती और धोखे के उस खतरनाक खेल की गवाही है, जिसमें अंतत: जीत मिली पुलिस की धैर्य और मेहनत को, और हार हुई झूठ, फरेब और साजिश की।
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