cgnews

“पिथौरा की बेटी शिवानी ने लिखी गौरवगाथा : विज्ञान के क्षेत्र में जगमगाया नाम”

आज जब समाज में नकारात्मक खबरों की भरमार है, ऐसे में पिथौरा की बेटी शिवानी नायडू ने अपनी मेहनत, अनुशासन और प्रतिभा से यह साबित कर दिया है कि समर्पण और लक्ष्य की स्पष्टता इंसान को किसी भी ऊँचाई तक पहुँचा सकती है।डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर में आयोजित दीक्षांत समारोह में बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल करना केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि यह पूरी पिथौरा की धरती का सम्मान है।

शिक्षा की शक्ति और बेटियों का उदय

शिवानी की उपलब्धि यह दर्शाती है कि गांव-कस्बों की बेटियाँ भी अब विश्वस्तरीय मंचों पर अपनी पहचान बना रही हैं। कभी जो क्षेत्र उच्च शिक्षा के अवसरों से वंचित माना जाता था, वहीं आज से एक नई प्रेरणा जन्म ले चुकी है।शिवानी ने यह संदेश दिया है कि बेटियाँ यदि अवसर पाएँ, तो वे हर क्षेत्र में अपनी चमक बिखेर सकती हैं — चाहे वह विज्ञान का कठिनतम क्षेत्र बायोटेक्नोलॉजी ही क्यों न हो।

विज्ञान में नई पीढ़ी की सोच

बायोटेक्नोलॉजी जैसा विषय कठिन और शोधप्रधान क्षेत्र है। शिवानी की यह उपलब्धि न केवल उनके परिश्रम की पहचान है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि छत्तीसगढ़ की नई पीढ़ी विज्ञान और अनुसंधान की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रही है।

यह वही दिशा है जिसकी हमारे राज्य को सख्त ज़रूरत है — जहाँ युवा केवल नौकरी की तलाश में न रहें, बल्कि ज्ञान और नवाचार के स्रोत बनें।

परिवार और संस्कारों की भूमिका

शिवानी की सफलता के पीछे परिवार की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता।पिता चन्द्रशेखर नायडू, माता श्रीमती रीता नायडू, संरक्षक श्री बलराज नायडू और दादा श्री हनुमंत राव नायडू — ये सब मिलकर उस आदर्श भारतीय परिवार की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं, जहाँ संस्कार और शिक्षा समान रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

उन्होंने न केवल अपनी बेटी को पढ़ाया, बल्कि उसके सपनों पर भरोसा किया। यही विश्वास हर बेटी को अपने पंख फैलाने की ताकत देता है।

समाज में प्रेरणा की लहर

पिथौरा जैसे कस्बे में शिवानी की यह उपलब्धि सिर्फ खबर नहीं, बल्कि प्रेरणा का शंखनाद है।आज जब कई युवा दिशा विहीनता और संसाधनों की कमी की शिकायत करते हैं, वहीं शिवानी ने यह दिखा दिया कि सफलता संसाधनों की नहीं, बल्कि संकल्प की मोहताज होती है।उनकी इस सफलता से न केवल क्षेत्र की अन्य बेटियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि माता-पिता के भीतर भी अपनी बच्चियों को आगे बढ़ाने का विश्वास मजबूत होगा।

आगे की राह

शिवानी अब अनुसंधान (Research) के क्षेत्र में आगे बढ़ने की इच्छा रखती हैं। यदि उन्हें उचित मार्गदर्शन और संसाधन मिले, तो वे आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों में योगदान दे सकती हैं।राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को भी ऐसे प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप, शोध-अवसर और वैज्ञानिक मंचों से जोड़ने की पहल करनी चाहिए, ताकि यह प्रतिभा हमारे राज्य में ही खिले, बाहर जाकर खो न जाए।

शिवानी नायडू की कहानी केवल एक छात्रा की उपलब्धि नहीं, बल्कि यह एक सोच का परिवर्तन है —जहाँ छोटे कस्बे की बेटियाँ अब बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस रखती हैं।उनका स्वर्ण पदक केवल एक धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि यह परिश्रम, संस्कार और शिक्षा के संगम का प्रतीक है।आज पिथौरा गर्वित है, लेकिन कल शायद पूरा छत्तीसगढ़ उनकी उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर एक नई दिशा तय करे।

डॉ.भास्कर राव पांढरे

डॉ.भास्कर राव पांढरे वर्ष 2010 से पत्रकारिता जगत से जुड़े हुए हैं । इन्होंने विभिन्न समाचार पत्रों में सह संपादक के पद पर अपने दायित्वों का व निर्वहन किया है ।2023 की विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के विभिन्न विधानसभाओं में जनता का अभिमत जानने के लिएजननायक कार्यक्रम लेकरपहुंचे थे , जो विधानसभा चुनाव के दौरान बहुत लोकप्रिय हुआ था । वर्तमान में यह The Howker News के प्रधान संपादक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
YOUTUBE
Back to top button