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धमतरी जिले में शिक्षकों को अब आवारा कुत्तों की देनी होगी जानकारी….

जागरूकता बढ़ाने शिक्षा विभाग की पहल, शिक्षक बोले—पढ़ाई या कुत्तों पर नजर किसे देखें?

धमतरी। प्रदेश भर के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए अब शिक्षकों को स्कूल परिसर और आसपास घूम रहे आवारा कुत्तों की जानकारी स्थानीय निकाय और पंचायत को देना अनिवार्य कर दिया गया है। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने इस संबंध में सभी संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। आदेश का उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को आवारा कुत्तों से होने वाली संभावित घटनाओं से बचाना है।

जागरूकता के लिए आदेश – डीईओ अभय जयसवाल

जिला शिक्षा अधिकारी अभय जयसवाल ने चर्चा में बताया कि यह आदेश जागरूकता बढ़ाने के लिए है। उन्होंने कहा कि विभाग चाहता है कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे। यदि किसी बच्चे को आवारा कुत्ता काट लेता है, तो शिक्षक तुरंत उसे प्राथमिक उपचार हेतु स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आदेश का पालन करना विभागीय जिम्मेदारी है, ताकि किसी भी दुर्घटना से पहले ही सतर्कता बरती जा सके।

शिक्षकों में नाराजगी – शिक्षा से हटकर अन्य काम का बोझ क्यों?

जिले के कई शिक्षकों ने इस आदेश पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जागरूकता के लिए निर्देश देना ठीक है, लेकिन आवारा कुत्तों पर नजर रखने जैसी जिम्मेदारी पढ़ाई-लिखाई के कार्य को प्रभावित करेगी। कुछ शिक्षकों ने तंज कसते हुए कहा कि“अब हमारा ध्यान बच्चों को पढ़ाने में लगे या स्कूल के बाहर घूम रहे कुत्तों पर नजर रखने में।”शिक्षकों का मानना है कि शिक्षा विभाग लगातार पढ़ाई से इतर कार्यों का बोझ बढ़ा रहा है, जिससे शिक्षण गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

कुछ जिलों में आदेश का विरोध भी शुरू

प्रदेश के कुछ जिलों में इस आदेश का विरोध शुरू हो गया है। शिक्षकों का कहना है कि यदि कोई कुत्ता स्कूल परिसर में प्रवेश करता है, तो उसे भगाने की जिम्मेदारी भी शिक्षक पर आती है, साथ ही स्थानीय निकाय व पंचायत को इसकी जानकारी भी देनी पड़ती है।ऐसे स्कूल जहां पर्याप्त स्टाफ है, वहां आदेश का पालन आसान होगा, लेकिन जहां शिक्षक कम संख्या में हैं, उनके लिए दोहरी जिम्मेदारी निभाना मुश्किल होगा।शिक्षकों ने यह भी सवाल उठाया कि“कम स्टाफ वाले स्कूलों में शिक्षक पढ़ाई करवाएंगे या कुत्तों की निगरानी करेंगे?”

कुल मिलाकर आदेश बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जारी किया गया है, लेकिन इसका व्यवहारिक पक्ष शिक्षकों के लिए चुनौती बनकर सामने आया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस दिशा में शिक्षकों का कितना सहयोग करता है और आदेश को किस तरह व्यावहारिक रूप में लागू किया जाता है।

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