
शिक्षा को कुचलने और शराब को बढ़ावा देने में जुटी भाजपा सरकार”: विनोद चंद्राकर
स्कूल बंद कर निजी स्कूलों को फायदा, नई शराब दुकानें खोलने में व्यस्त साय सरकार
बीहड़ों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश रच रही है भाजपा
महासमुंद, छत्तीसगढ़। भाजपा की साय सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए पूर्व संसदीय सचिव एवं महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा को बर्बाद करने और नई पीढ़ी को शराब की लत में झोंकने की खतरनाक साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि सरकार युक्तियुक्तकरण के नाम पर सरकारी स्कूलों को सुनियोजित तरीके से बंद कर, गरीब, आदिवासी और दूरस्थ ग्रामीण बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का पाप कर रही है।
चंद्राकर ने चेतावनी दी कि अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो प्रदेश के बीहड़ क्षेत्रों के बच्चे न तो पढ़ पाएंगे, न ही बच पाएंगे। दूसरी ओर, शिक्षा का गला घोंटने वाली सरकार सैकड़ों शराब दुकानें खोलकर राज्य को नशे के दलदल में धकेल रही है।
वनांचल के बच्चों के भविष्य पर कुठाराघात
पूर्व विधायक ने साफ कहा कि महासमुंद और गरियाबंद जैसे जिलों के दूर-दराज जंगलों में बसे छोटे गाँवों में चल रहे प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम जरूर है, लेकिन वहीं से आदिवासी समाज के बच्चों का भविष्य आकार लेता है। अब भाजपा सरकार युक्तियुक्तकरण के मापदंडों की आड़ लेकर इन स्कूलों को बंद करना चाहती है। यह सीधा-सीधा ग्रामीण शिक्षा के खिलाफ युद्ध है।
6 से 11 साल की उम्र के बच्चों को अगर स्कूल जाने के लिए 3-4 किलोमीटर तक घने जंगलों और हिंसक जानवरों से भरे रास्तों से गुजरना पड़े, तो पालक डर के मारे बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे। इससे प्रदेश के हजारों बच्चे प्राथमिक शिक्षा से भी महरूम हो जाएंगे। यह सरकार की संवेदनहीनता का सबसे शर्मनाक उदाहरण है।
“स्कूल बंद, शराब दुकान चालू” – भाजपा की असली नीति उजागर
चंद्राकर ने कहा, “एक तरफ स्कूलों पर ताले जड़ने की तैयारी चल रही है, और दूसरी तरफ सरकार धड़ल्ले से नई शराब दुकानों का उद्घाटन कर रही है। क्या यही है ‘नवभारत’ का सपना? दो दिन पहले ही सरायपाली में शराब पीने से चार युवकों की दर्दनाक मौत हुई, लेकिन सरकार को कोई शर्म नहीं है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि शराब दुकानों से बोरियों में भरकर शराब गाँव-गाँव पहुँचाई जा रही है, जहां 14-15 साल के बच्चे तक शराब की गिरफ्त में आ रहे हैं। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए शराबबंदी की मांग का ढोंग किया, और अब सत्ता में आकर खुलेआम शराबखोरी को बढ़ावा दे रही है।
शिक्षा व्यवस्था को तबाह करने की साजिश
चंद्राकर ने कहा कि भाजपा सरकार की मंशा स्पष्ट है — शिक्षा व्यवस्था को खत्म कर निजी स्कूल मालिकों को फायदा पहुँचाना। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में 5484 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, और 297 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है।
डेढ़ साल के शासन में सरकार ने एक भी शिक्षक की नियमित नियुक्ति नहीं की। विधानसभा में 33,000 पदों पर भर्ती की घोषणा की गई, लेकिन वह प्रक्रिया भी जानबूझकर रोक दी गई। अब ‘युक्तियुक्तकरण’ और ‘नया सेटअप’ के नाम पर हजारों स्कूल बंद कर, शिक्षकों के पद खत्म किए जा रहे हैं। यह फैसला असंवेदनशील, अव्यवहारिक और शिक्षा विरोधी है।
“बच्चों को किताबें नहीं, शराब चाहिए” – यही है भाजपा की प्राथमिकता
विनोद चंद्राकर ने कटाक्ष करते हुए कहा, “भाजपा को बच्चों के हाथ में किताबें नहीं, बोतलें देखना पसंद है। वह नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ का बच्चा शिक्षित हो, जागरूक हो, और सवाल पूछे। इसलिए शिक्षा को दबाकर शराब को फैलाया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रदेश को बर्बादी के रास्ते पर ले जाने की कुचेष्टा है। यदि यह रवैया जारी रहा तो आने वाला समय छत्तीसगढ़ की नई पीढ़ी के लिए अंधकारमय और भयावह होगा।
चंद्राकर की दो-टूक चेतावनी
पूर्व विधायक ने दो टूक कहा –
“भाजपा सरकार अगर अब भी नहीं चेती तो प्रदेश की जनता ही नहीं, इतिहास भी उन्हें माफ नहीं करेगा। शिक्षा के साथ खिलवाड़, शराब का विस्तार और बच्चों का भविष्य बर्बाद – यही है साय सरकार की असली पहचान।”