
भाजपा सरकार की शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति पूर्णतः गलत,सुधारे :– अंकित

**बेरोजगारों को रोजगार से वंचित करने की बड़ी साजिश
**53000 खाली पदों पर भर्ती से बचना चाह रही भाजपा सरकार
**गांव गांव में चल रहे स्कूलों को बंद करने की बड़ी साजिश
खल्लारी विधानसभा के सक्रीय कांग्रेस नेता अंकित बागबाहरा ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग द्वारा अधिकृत और स्वीकृत सेटअप 2008 के अनुसार ही पूरे प्रदेश के शिक्षा विभाग और शिक्षकों का पद स्वीकृत किया गया है एवं वेतन आहरण किया जा रहा है इसके आधार पर ही वित्तीय व्यवस्था संचालित की जा रही है फिर भी शिक्षा विभाग युक्तियुक्तकरण के मामले में सेटअप को दरकिनार कर केवल और केवल शिक्षा के अधिकार कानून की आड़ में प्रदेश भर के प्राथमिक शाला और पूर्व माध्यमिक शाला में शिक्षकों के एक-एक पद कम करने का प्रयास कर रहा है।
अंकित ने बताया कि शासकीय शिक्षकों के बताए अनुसार 43839 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओ में 1 – 1 पद सेटअप 2008 से कम कर समाप्त करने की साजिश की जा रहा है, सेटअप छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग और शिक्षा विभाग के कर्मचारी व शिक्षकों के लिए बनाया गया है उसी सेटअप के आधार पर ही पदस्थापना की गई है अब उसे किनारे करते हुए जानबूझकर शिक्षकों को अतिशेष घोषित किया जा रहा है।
राज्य शासन के कर्मचारी शिक्षक वर्ग है उन्हें शिक्षा के अधिकार कानून के तहत शिक्षकों की तैनाती के लिए राष्ट्रीय औसत को याद दिलाया जा रहा है छत्तीसगढ़ शासन व शिक्षा विभाग को यह ध्यान रखना चाहिए कि छत्तीसगढ़ के शिक्षकों व कर्मचारियों को न तो केंद्रीय वेतनमान मिलता है न ही केंद्र के समान कर्मचारियों के बराबर एरियर्स दिया जा रहा है न ही केंद्र के समान कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता देय तिथि से दिया जा रहा है जब केंद्र द्वारा देय शिक्षक व कर्मचारी सुविधा को छोड़ा गया हैं तो छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बनाए गए सेटअप का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं।
अंकित ने कहा कि सीधी सी बात है कि प्रदेश में 53000 पद शिक्षकों के रिक्त है ऐसे पदों की पूर्ति वर्तमान में करना न पड़े, प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार से वंचित करने का एक प्रयास है।
शासन द्वारा यह पक्ष लाया गया कि प्राथमिक शाला में 2 ही कमरे होते है, यह दावा पूर्णतः गलत है, कई प्राथमिक शालाओ में 5 कमरे के साथ 2, 3 अतिरिक्त कक्ष बना हुआ है, जहाँ 1 से 5 तक सभी कक्षा पृथक पृथक बैठाया जाता है, इसीलिए न्यून्तनम छात्र संख्या पर 1+2 तीन शिक्षक सेटअप में प्रदत्त है। अंकित ने बताया कि असल में शिक्षा विभाग के शिक्षकों से अन्य विभाग के कार्य क्यों कराया जा रहा हैं, वर्ष भर 127 अलग अलग गैर शैक्षणिक कार्य अन्य विभागों के कराये जाते है, शिक्षकों के मूल कार्य शिक्षण से वंचित कर अन्यत्र संलन किया जाता है, इससे ही गुणवत्ता प्रभावित होती है।
भाजपा शासन के शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण मामले में यह भ्रम फैलाया जा रहा है की शिक्षा के अधिकार कानून में युक्तियुक्तकरण की परिभाषा में कम शिक्षक है, जबकि शिक्षा विभाग स्वयं के बनाये गए स्वीकृत व संचालित हुए शिक्षा विभाग और शालाओं के सेटअप 2008 के अनुसार पदस्थापना किया है।
वर्तमान युक्तियुक्तिकरण नियम में 2008 के सेटअप का पालन तो नही हो रहा है साथ ही साथ पालको के मांग और छात्रों के सुविधा के लिए जब विद्यालय खोले गए थे फिर रिक्त पद के आधार पर शिक्षक नियुक्त किए गए थे अब एक ही परिसर में संचालित होने के नान पर उन्हें बंद किया जा रहा है औऱ पद विरुद्ध नियुक्त शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में हैं। संकुल समन्वयक जो शासन के योजनाओं और स्कूल के बीच के सबसे मजबूत कड़ी होते हैं उन्हें भी इस अतिशेष की श्रेणी से पृथक नही रखा जाना अत्यंत पीड़ादायक है।प्रधान पाठक प्राथमिक और मिडिल प्रशासनिक पद हैं उन्हें भी युक्तियुक्तिकरण नीति स्वतंत्र नही छोड़ा गया है।
अंकित ने कहा कि हम कह सकते हैं कि भाजपा सरकार की वर्तमान युक्तियुक्तिकरण नीति कई विसंगतियों से भरापूरी है जो पूर्णतः शिक्षा विभाग और शैक्षिक गुणवत्तापूर्ण अध्यापन वयस्था पर एक बड़ा प्रश्रचिन्ह लगा रही है, साथ ही बेरोजगारों को रोजगार से वंचित करने की बड़ी साजिश के साथ 53000 खाली पदों पर भर्ती से बचना चाह रही भाजपा सरकार
ऊपर से गांव गांव में चल रहे स्कूलों को बंद करने की बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता जिसके कारण अब बच्चों को फिर से 2 से 5 किलोमीटर दूर शिक्षा लेने जाना पड़ेगा ।।