
अवैध रेत :संतुपाल की दर्दनाक मौत……
आखिर कौन है संतुपाल की मौत का जिम्मेदार?
महासमुंद। जिले के बरबसपुर क्षेत्र में अवैध रेत खनन के दौरान हुई एक दर्दनाक घटना में पारा गांव रायपुर निवासी संतु पाल की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह हादसा एक हाइवा वाहन की चपेट में आने से हुआ। संतु पाल पूर्व में पारा गांव के उपसरपंच भी रह चुके थे।

घटना स्थल को लेकर दो जिलों—महासमुंद और रायपुर—के बीच सीमा विवाद की स्थिति बन गई है। प्रशासनिक स्तर पर इसे रायपुर जिले का मामला बताया जा रहा है, जबकि स्थानीय लोग इसे बरबसपुर (महासमुंद) क्षेत्र की घटना मान रहे हैं। इससे राजनीतिक हस्तक्षेप और मामला दबाने की आशंकाएं भी उठ रही हैं।
एक दिन पहले ही महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने बरबसपुर सहित 11 ग्राम पंचायतों को अवैध रेत खनन को लेकर नोटिस जारी किया था। नोटिस में पंचायतों को सीधी जवाबदेही के दायरे में लाया गया था। लेकिन उसके 24 घंटे के भीतर ही यह दुखद घटना सामने आ गई।
छत्तीसगढ़ में वर्षों से अवैध रेत खनन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। महानदी सहित कई नदियों का सीना चीरकर माफिया करोड़ों का अवैध कारोबार चला रहे हैं। हाईकोर्ट ने भी इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब तक दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह गोरखधंधा नहीं रुकेगा।
सरकार की ओर से बताया गया है कि एक विशेष जांच समिति गठित की गई है, जो रेत खनन नियंत्रण के लिए अन्य राज्यों से रिपोर्ट लेगी। हालांकि कोर्ट ने इसे नाकाफी बताया और स्पष्ट कहा कि सिर्फ रिपोर्ट बनाना समाधान नहीं है—जमीनी कार्रवाई जरूरी है।
बरबसपुर क्षेत्र पहले भी अवैध खनन के लिए बदनाम रहा है। बताया जाता है कि यहां सक्रिय रेत माफियाओं का राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। एक माफिया नेता को स्थानीय संघ का अध्यक्ष भी बताया गया है, जिसकी पकड़ राजधानी तक है।
हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि रेत तस्करी को संज्ञेय अपराध घोषित किया जाए और दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि निर्दोष लोगों की जान लगातार खतरे में है, और यदि प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं करता तो न्यायालय कड़ा रुख अपनाएगा।
22 अप्रैल तक ठोस कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश था। अब सवाल यह है—क्या शासन-प्रशासन ने उस निर्देश का पालन किया?