
हिंदी माध्यम वाले बेरोजगार युवा हो जाएं सावधान. रहना पड़ सकता है बेरोजगार?
रायपुर। हिंदी माध्यम से अपनी शिक्षा पूर्ण करके शिक्षा जगत में कार्य करने के इच्छुक युवा सावधान हो जाएं। हो सकता है उन्हें आगे शिक्षा जगत में बेरोजगारी का सामना करना पड़े।
यह बात मैं यूं ही नहीं कह रहा हूं। आज सुबह मैंने छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले अंतर्गत स्थित आत्मानंद विद्यालयों की संविदा भर्ती विज्ञापन को पढ़ा। जिसमें विज्ञापन जारीकर्ता गरियाबंद के जिला शिक्षा अधिकारी व आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के संचालन प्रबंधन समिति के सचिव द्वारा हस्ताक्षरित संविदा पदों के लिए विज्ञापन जारी हुए हैं । जिसमें संस्कृत और हिंदी जैसे विषयों के लिए भी हाई स्कूल स्तर तक संपूर्ण शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में करने वाले अभ्यर्थी ही पात्र होंगे ऐसी न्यूनतम शैक्षणिक आहर्ता लिखी गई है।जो कि हिंदी माध्यम से अध्ययन कर शिक्षा जगत में अपना करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के ऊपर कुठाराघात है।











2018 के विधानसभा चुनावों के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी और एक किसान के बेटे को मुख्यमंत्री के पद की जिम्मेदारी सौंपते हुए छत्तीसगढ़ का युवा वर्ग आशाओं से भर उठा।
छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी आशाओं पर कभी कुठाराघात नहीं किया और नई नई योजनाएं लाकर राज्य की बेरोजगारी दर को कम करने का भी प्रयास किया। इन्हीं में से एक योजना रही स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय। इस आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना के तहत जब भी छत्तीसगढ़ में शिक्षा का इतिहास लिखा जाएगा तब माननीय मुख्यमंत्री श्री बघेल के कार्यकाल में शिक्षा जगत का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों से अंकित होगा। लेकिन श्री बघेल के इन प्रयासों पर कुछ अधिकारी पलीता लगाते हुए नजर आ रहे हैं और बेरोजगारों को रोजगार से वंचित करने का प्रयास कर रहे हैं।
जब इस विषय में हमने गरियाबंद जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा की तो उन्होंने इस न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के कॉलम को सही ठहराते हुए कहा कि कई बार इन विषयों को समझाने के लिए अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ता है इसलिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में यह अहर्ता डाली गई है। गरियाबंद जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा इस प्रकार का कथन सर्वथा अनुचित है। क्योंकि अन्य जिलों में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के लिए निकले हुए विज्ञापन में हिंदी और संस्कृत जैसे विषयों के लिए इस नियम को शिथिल किया गया है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के आत्मानंद विद्यालयों में भी रिक्त पदों के लिए संविदा भर्ती पूर्व में भी और वर्तमान में भी जारी हुई है। जिनमें हिंदी और संस्कृत जैसे विषयों के लिए अंग्रेजी माध्यम से अध्ययन होने के नियम में शिथिलता की गई है।
लेकिन जब जिला शिक्षा अधिकारी गरियाबंद से इस विषय में कहां गया तो वे अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा अनिवार्य नियम की शिथिलता को नकारते हुए नजर आए।
इससे साफ है कि या तो गरियाबंद जिला छत्तीसगढ़ शासन के अंतर्गत नहीं आता, या तो गरियाबंद जिले के अधिकारी कर्मचारी अपने द्वारा नए नए नियमों का सृजन करते हैं। जिससे एक ओर राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री की स्वर्ण अक्षरों में अंकित होने वाली शिक्षा जगत की यह योजना प्रभावित हो रही है ,वही दूसरी ओर राज्य के बेरोजगार युवाओं को आगे भी ऐसे तुगलकी फरमानो के चलते बेरोजगार रहना पड़ सकता है।