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आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालय में मनाया गया योग दिवस

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छुरा…अंर्तराष्ट्रीय योगा दिवस 2022: 21 जून को पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया जा रहा है। योग से तन और मन फिट रहते हैं, वहीं भारत के कोने-कोने में फिर चाहे वो खेल का मैदान हो या ऑफिस या स्कुल सभी गर्मजोशी से योगा डे मनाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 योग हमारी संस्कृति और जड़ों से जुड़ा हुआ है। इसलिए स्वस्थ और खुशहाल बनने के लिए योग काफी असरदार होता है भारत के साथ आज पूरी दुनिया योग की ताकत को मानती है और इसलिए हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सेलिब्रेट किया जाता है. लेकिन इंटरनेशनल योगा डे की डेट 21 जून ही क्यों चुनी गई। दरअसल इसके पीछे एक छिपा हुआ कारण है, जिसे हम योगा डे के इस आर्टिकल में जानेंगे, इसके साथ ही जानते हैं कि योग दिवस मनाने की शुरुआत कब और क्यों हुई व इंटरनेशनल योगा डे 2022 की थीम क्या रहेगी,

कब मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और इसका महत्व?

हर साल यह सवाल इंटरनेट पर घूमने लगता है कि इंटरनेशनल योगा डे कब मनाया जाता है? जिसका जवाब है कि हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. आपको बता दें कि 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में भाषण देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद 11 दिसंबर 2014 को सिर्फ 3 महीने के अंदर बहुमत के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया और 21 जून 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. योग दिवस की शुरुआत 2015 को हुई थी, जिसके बाद हर साल 21 जून को दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाता है।


योग दिवस का महत्व

सदियों पहले भारत में योग की शुरुआत हो चुकी थी, जो कि एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रैक्टिस है,योग दिवस का महत्व यही है कि लोगों में योगाभ्यास के प्रति जागरुकता फैलाई जा सके।क्योंकि, आजकल शारीरिक गतिविधि में कमी के कारण हमारा स्वास्थ्य काफी खराब हो गया है और योग, प्राणायाम और योगासनों का अभ्यास करके हम फिर से पूर्ण रूप से स्वस्थ बन सकते हैं.

खास है इंटरनेशनल योगा डे 2022 की थीम

यूएन के मुताबिक, पूरी दुनिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम ‘मानवता के लिए योग रखी गई है इस योग दिवस की थीम ‘योगा फॉर ह्यूमैनिटी’ भी कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए चुनी गई है। क्योंकि कोरोना महामारी ने ना सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि चिंता, अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक और मानसिक समस्याएं भी दी हैं. जो कि इस समय मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं, योग का मूल सार सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखना या फिर दिमाग व शरीर के बीच संतुलन बनाना नहीं है, बल्कि दुनिया में मानवीय रिश्तों के बीच संतुलन बनाना भी है. इसलिए ही मानवता के लिए योग का सहारा लिया जाना चाहिए।

21 जून को योग दिवस मनाने का छिपा हुआ कारण

हर साल 21 जून को योग दिवस मनाने के पीछे दो कारण मुख्य कारण है, जिसमें से पहला कारण यह है कि साल के इस दिन सूर्य की किरणें सबसे ज्यादा देर तक धरती पर रहती हैं. जिसको प्रतीकात्मक रूप से मनुष्य के स्वास्थ्य और जीवन से जोड़ा जाता है. वहीं, दूसरा कारण यह भी माना जाता है कि 21 जून को ग्रीष्म संक्राति को सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और इसके बाद आने वाली पूर्णिमा को भगवान ने शिव ने अपने सात शिष्यों को पहली बार योग की दीक्षा दी थी. हालांकि, यह कारण पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है

योग भारत की संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ‘ के मौके पर शिक्षकों ने कहा कि योग भारत की प्राचीन संस्कार और इतिहास का प्रतीक है और इसे विश्वभर में उत्साह क साथ किया जाता है।
इसी क्रम में आज स्वामी आत्मानंद स्कुल छुरा में शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं की उपस्थिति में योग दिवस के अवसर पर बच्चों को योगाभ्यास कराते हुए योग के महत्व को दैनिक जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है यह समझाया गया।
“ योग शास्त्र भारत की संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है। इसे विश्वभर में मान्यता दिये जाने के साथ उत्साह के साथ इसका अभ्यास किया जाता है। ” उन्होंने कहा, ” इस तरह से योग ” समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करेगा।”

कि योग भारत की हजारों साल पुरानी सेहत की विरासत है “योग” आज दुनिया के “सिर का ताज” बनता जा रहा है। हमें गर्व है कि मेरे भारत की सदियों पुरानी विरासत पूरी दुनिया और लोगों के “सेहत का संसाधन” साबित हो रही है। मुल्क मजहब की दीवारें तोड़ – कर योग सेहत का साथी बन गया है।

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