
“हरे सोने की लूट! बिचौलियों से लेकर पंचायत तक…
सीमापार से तेंदूपत्ता की तस्करी में उजागर हुआ गुनाहों का गठजोड़”
गरियाबंद l
जंगल की छांव में पलने वाले ‘हरे सोने’ — तेंदूपत्ते — पर अब सिर्फ पत्ते नहीं, लालच की आग भी लिपटी हुई है। छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा पर एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने तेंदूपत्ता तस्करी के पीछे छिपे पूरे गिरोह की परतें उधेड़ दी हैं। ओडिशा प्रशासन ने मेटाडोर से जब्त किए 110 बोरे, जो छत्तीसगढ़ के फड़ों में खपाए जाने वाले थे। कागजों में तेंदूपत्ता वहीं का, लेकिन मुनाफा? चार गुना!
सरकार को चूना लगाने की ये स्क्रिप्ट न सिर्फ तस्करों की है, बल्कि इसमें कुछ ग्राम पंचायतों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। तेंदूपत्ता जो ओडिशा में महज 1-1.5 लाख रुपए में बिकता है, वही छत्तीसगढ़ में 4 लाख तक का भुगतान पाता है — और यहीं से शुरू होता है सारा खेल।
वन विभाग के कुछ अधिकारी जहां खुद को इस तस्करी से अंजान बता रहे हैं, वहीं ओडिशा की कार्रवाई ने उन्हें कठघरे में ला खड़ा किया है। आखिर कैसे बिना मिलीभगत के सैकड़ों बोरे तेंदूपत्ता सीमा पार कर सकते हैं? सवाल जलते हैं, और जवाब… धुएं में खोते दिखते हैं।