
केंद्रीय गृह मंत्री दक्षता पदक : नितेश ठाकुर की सफलता, पुलिस सेवा में समर्पण, न्याय और संवेदना का उदाहरण
संपादकीय
कोमाखान जैसे छोटे कस्बे में पदस्थ अधिकारीकी एक बड़ी उपलब्धि ने पूरे प्रदेश पुलिस विभाग का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। निरीक्षक नितेश सिंह ठाकुर को केंद्रीय गृह मंत्री दक्षता पदक से सम्मानित किया जाना न केवल व्यक्तिगत गौरव की बात है, बल्कि यह उस पुलिस व्यवस्था की साख का प्रतीक भी है जो आज भी ईमानदारी, कर्मनिष्ठा और न्याय के प्रति सजग है।

भारत के प्रथम गृह मंत्री, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती पर प्रतिवर्ष इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है। यह वही दिन है जब पूरे देश में पुलिस बल को राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाई जाती है।

इस अवसर पर देशभर के हजारों अधिकारियों में से चुनिंदा नामों का चयन केवल उसी के लिए होता है, जो अपने कर्तव्य को मात्र एक नौकरी नहीं, बल्कि समाज और न्याय की सेवा मानता है। इस वर्ष उस सूची में निरीक्षक नितेश ठाकुर का नाम शामिल होना उनकी कार्यशैली और उनके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है।
निरीक्षक नितेश सिंह ठाकुर ने अपने सेवा काल में हमेशा कानून को सर्वोच्च माना है। उनकी जांच शैली, संवेदनशील मामलों को संभालने की परिपक्वता और समयबद्ध निष्पादन ने उन्हें विभागीय रूप से अलग पहचान दिलाई है।

विशेष रूप से जिस प्रकरण के लिए उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ — वह समाज के सबसे नाजुक और संवेदनशील वर्ग, नाबालिक बालिका से संबंधित अपराध का मामला था।
ऐसी घटनाओं में जहां न्याय की डगर अक्सर लंबी और कठिन होती है, वहां ठाकुर ने अपने अनुभव और प्रतिबद्धता से यह सिद्ध कर दिया कि यदि इच्छा शक्ति और ईमानदारी हो तो न्याय को विलंबित नहीं किया जा सकता।
उन्होंने आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित की, मजबूत साक्ष्य जुटाए और निर्धारित समय सीमा में न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। परिणामस्वरूप फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले का शीघ्र निपटारा करते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
यह फैसला केवल एक पीड़िता के लिए नहीं, बल्कि समूचे समाज के लिए एक संदेश था कि कानून की पकड़ मजबूत है और न्याय जिंदा है।नितेश ठाकुर का यह सम्मान ऐसे समय में आया है जब समाज में पुलिस व्यवस्था को लेकर अनेक प्रश्न उठाए जाते हैं। कुछ बुरे अनुभवों की वजह से जनता का भरोसा कमजोर पड़ता है, लेकिन ठाकुर जैसे अधिकारी इस विश्वास को पुनर्जीवित करते हैं। वे यह साबित करते हैं कि वर्दी केवल सत्ता या अधिकार का प्रतीक नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और संवेदना की भी परिभाषा है।
केंद्रीय गृह मंत्री दक्षता पदक की प्रक्रिया बेहद कठोर होती है। इसमें अधिकारी की सेवा अवधि, अनुशासन, निष्पक्षता, और विभागीय छवि का गहन मूल्यांकन किया जाता है। इस कसौटी पर निरीक्षक नितेश ठाकुर ने न केवल खरे उतरे, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि स्वच्छ छवि और जनहित में निष्पक्ष कार्य आज भी सर्वोच्च मान्यता प्राप्त कर सकता है।
यह सम्मान केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरी पुलिस व्यवस्था की उपलब्धि है जो न्याय और मानवीयता के संतुलन को बनाए रखती है।
कोमाखान थाना जैसे अपेक्षाकृत सीमित संसाधनों वाले क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि यदि अधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान हों तो किसी बड़े शहर या राजधानी की सुविधा आवश्यक नहीं, बल्कि ईमानदारी और समर्पण ही सबसे बड़ी शक्ति है।

आज जब पुलिस की भूमिका केवल अपराध रोकने तक सीमित नहीं रही, बल्कि सामाजिक न्याय और नागरिक विश्वास कायम रखने तक विस्तृत हो गई है, तब ठाकुर जैसे अधिकारियों की सफलता प्रेरणा का स्रोत बनती है।
यह उपलब्धि कोमाखान और महासमुंद जिले के लिए भी सम्मान का विषय है। इसने जिले की पुलिस को न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है।
ऐसे अधिकारी इस व्यवस्था की असली रीढ़ हैं — जो अपने कर्म से यह बताते हैं कि वर्दी केवल अधिकार नहीं, बल्कि विश्वास की जिम्मेदारी है।
निरीक्षक नितेश ठाकुर की यह सफलता उस विश्वास की जीत है। समाज ऐसे ही कर्मठ और ईमानदार अधिकारियों से अपेक्षा करता है कि वे न्याय की ज्योति को जलाए रखें, ताकि हर नागरिक यह महसूस कर सके कि इस देश में न्याय अब भी सबसे बड़ी ताकत है।

 
					 
				
 
						



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