
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर धमतरी में भव्य पथ संचलन एवं बौद्धिक कार्यक्रम संपन्न
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर सदर उत्तर बस्ती, धमतरी द्वारा आयोजित कार्यक्रम
धमतरी । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में सदर उत्तर बस्ती, धमतरी द्वारा भव्य पथ संचलन और बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन गांधी चौक मैदान में किया गया। कार्यक्रम में संघ के सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया। दोपहर 2:30 बजे स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण गांधी चौक मैदान में हुआ, जिसके पश्चात दोपहर 3:00 बजे नगर में पथ संचलन प्रारंभ किया गया।पथ संचलन गांधी चौक मैदान से आरंभ होकर राम सागरी गार्डन, बनिया पारा, मठ मंदिर चौक, सदर बाजार, चमेली चौक, कचहरी चौक, भगत चौक, कोस्टा पारा, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव चौक, बंबलई मंदिर चौक, इतवारी बाजार होते हुए पुनः गांधी मैदान पर आकर समाप्त हुआ।

इस एक घंटे के संचलन में संघ के स्वयंसेवकों ने अनुशासन, एकता और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत प्रदर्शन किया।पथ संचलन के मार्ग में नागरिकों ने जगह-जगह फूलों की वर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। राष्ट्रभक्ति के नारों से मार्ग गूंज उठे और पूरे नगर में उत्सव जैसा माहौल बना रहा। लोगों ने तालियों की गूंज और जयकारों के साथ स्वयंसेवकों का अभिनंदन किया। बच्चों, युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी मार्ग में उपस्थित होकर इस राष्ट्रभक्ति के आयोजन के साक्षी बने।शाम 4:30 बजे गांधी चौक मैदान में मंचीय कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ नागेंद्र वशिष्ठ उपस्थित रहे। साथ ही अध्यक्षता प्रोफेसर ज्ञानचंद वैद्य ने की। विशिष्ट अतिथि नगर संघचालक रामलखन गजेन्द्र उपस्थित थे।श्री वशिष्ठ ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि संघ की ध्वजा को देखते ही एक पवित्र भावना जागृत होती है। उन्होंने बताया कि संघ में कोई व्यक्ति गुरु नहीं होता, ध्वजा ही हमारा गुरु है।श्री वशिष्ठ ने संघ के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य राष्ट्र सेवा और आत्म-सम्मान की भावना को जागृत करना है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयदशमी के दिन इस संगठन की नींव रखी थी और आज 100 वर्षों बाद यह संगठन एक वटवृक्ष का रूप ले चुका है, जिसकी शाखाएं देश-विदेश में फैल चुकी हैं।उन्होंने आगे बताया कि डॉक्टर हेडगेवार ने संघ की नींव सात सूत्रों पर रखी थी — आत्म जागृति, अपनत्व, राष्ट्रीयता, सामूहिकता, अनामिकता, समर्पण और स्वदेशी। ये मूल्य आज भी संघ की कार्यप्रणाली की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि संघ को अनेक बार विरोध और उपहास का सामना करना पड़ा, लेकिन स्वयंसेवकों ने अपने पथ से कभी विचलित नहीं होकर राष्ट्र सेवा को ही अपना ध्येय बनाए रखा।मुख्य वक्ता ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में पांच परिवर्तन लाएं — परिवार में संस्कार हो, माता से सेवा और प्रेम के संस्कार सीखें, पिता से नेतृत्व की प्रेरणा लें, समाज को संगठित करें, वातावरण को शुद्ध बनाएं और अपने अधिकार एवं कर्तव्यों को समझें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए सेवा भाव के साथ आगे बढ़ना ही संघ का मार्ग है।कार्यक्रम में उपस्थित सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रोफेसर ज्ञानचंद वैद्य (शासकीय महाविद्यालय, धमतरी) ने कहा कि आज हम जिस स्वाभिमान युक्त वातावरण में सांस ले रहे हैं, वह अनेक महापुरुषों के बलिदान और संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमेशा राष्ट्र को प्राथमिकता दी है और हर आपदा और संकट के समय स्वयंसेवक अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आए हैं।प्रोफेसर वैद्य ने बताया कि आज संघ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहा है — चाहे वह शिक्षा हो, सेवा कार्य हो, पर्यावरण संरक्षण हो या आपदा प्रबंधन। उन्होंने कहा कि संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक एक समाज निर्माता की भूमिका निभा रहा है और युवाओं को संघ के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।मंचीय कार्यक्रम के दौरान अनेक गणमान्य नागरिक, प्रबुद्धजन, नगरवासी एवं स्वयंसेवकों के परिजन भी उपस्थित रहे। सभी ने इस कार्यक्रम की अनुशासनपूर्ण व्यवस्था, संगठन की गरिमा और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत वातावरण की प्रशंसा की।अंत में ध्वज प्रणाम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह आयोजन न केवल संघ के 100 वर्षों की यात्रा का उत्सव था, बल्कि समाज को एकता, सेवा, संस्कार और समर्पण का संदेश देने वाला प्रेरणादायक अवसर भी सिद्ध हुआ।
