
महासमुंद जिले के सरकारी स्कूल: राजनीति और भेदभाव का शिकार, बच्चों की पढ़ाई संकट में…
महासमुंद। जिले के आठ से अधिक शासकीय आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थिति दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है। आधा शिक्षण सत्र बीत चुका है, लेकिन रिक्त पदों में शिक्षकों की भर्ती अभी तक नहीं हुई। बड़ी संख्या में खाली पदोंका विज्ञापन निकाला था,आवेदन करने की अंतिम तिथि बीते हुए 16 दिन हो चुके हैं लेकिन दावापत्ति की सूची जारी नहीं की गई। सवाल उठता है – क्या यह भर्ती विज्ञापन सिर्फ छल था या बच्चों की पढ़ाई की अनदेखी की जा रही है?
राजनीति बन रही शिक्षा में बाधा
विशेष चिंता की बात यह है कि नेता और अधिकारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते। यदि उनके बच्चे इन्हीं सरकारी स्कूलों में पढ़ते रहतेतो शायद इन स्कूलों की स्थिति बहुत बेहतर होती ।
वहीं, आत्मानंद सहित अन्य सरकारी स्कूलों में भी संस्था प्रमुखों की पदस्थापना में राजनीति खुलकर सामने आ रही है। इस राजनीतिक हस्तक्षेप ने बच्चों की पढ़ाई को सीधे तौर पर प्रभावित किया है।

भेदभाव और उपेक्षा का आरोप
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा खोले गए हैं। लेकिन वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की सरकार इन स्कूलों को कोई तवज्जो नहीं दे रही है। क्या यह जनता के साथ और विशेषकर गरीब जनता के उन बच्चों के साथ छल नहीं है, जो इन स्कूलों में पढ़ते हैं और शिक्षा की आस में आए हैं?
शिक्षा व्यवस्था की पोल खुली
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति दयनीय है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी वेतन तो सरकारी खजाने से लेते हैं, लेकिन अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते। यदि इन्हीं सरकारी कर्मचारियों के बच्चे इन सरकारी स्कूल में पढ़ते तो शायद स्कूलों की स्थिति और कुछ होती ।
यहां तो केवल गरीब किसान, मजदूर और ग्रामीण अपने बच्चों को शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में भेजते हैं।इसीलिए सरकार भी इन स्कूलों पर ढंग से ध्यान नहीं दे रही है ।
भविष्य पर गंभीर असर
भर्ती में देरी, खाली पद और राजनीति के चलते बच्चों की पढ़ाई गंभीर संकट में है। आठ से अधिक आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे इस प्रणाली पर भरोसा करके शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, लेकिन उनका भविष्य प्रशासनिक और राजनीतिक लापरवाही की भेंट चढ़ता नजर आता है।
महासमुंद जिले के सरकारी स्कूल शिक्षा की मूल भावना से भटक चुके हैं। भर्ती में विलंब, राजनीतिक हस्तक्षेप और अधिकारियों की उपेक्षा ने स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का स्थान बनाना असंभव कर दिया है। ऐसे में यह प्रश्न हर नागरिक और प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी है – आखिर कौन देगा इन बच्चों को उनके हक की शिक्षा, और कब तक जारी रहेगा गरीब जनता के साथ यह छल?
“संपादकीय लिखे जाने के दौरान महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी से आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के लिए निकली भर्ती की प्रक्रिया में हो रही लेट लतीफी के विषय में जानने के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया ।”
