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सूर्यघर मुक्त बिजली योजना – रोशनी का सपना या और कुछ?”

संपादकीय

महासमुंद । छत्तीसगढ़ को देश का बिजली सरप्लस राज्य कहा जाता है। यहां से बिजली न सिर्फ प्रदेश की ज़रूरतें पूरी करती है बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी बेची जाती है। 30 सितंबर 2023 को प्रदेश की बिजली स्थिति देखें तो कुल उत्पादन 2978.70 मेगावाट (तापीय – 2840, जल विद्युत – 138.70) था।

आधे बिल से “मुक्त बिजली” तक

2018 में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने जनता को राहत देने के लिए 400 यूनिट तक आधा बिल योजना लागू की थी।
लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भाजपा सरकार ने अगस्त 2025 से इसे बंद कर दिया और छूट केवल 100 यूनिट तक सीमित कर दी।
नतीजा यह हुआ कि जिन परिवारों का बिल पहले 300–400 रुपये आता था, वह सीधे 1000 रुपये पार हो गया। जनता की नाराज़गी लाज़मी थी।

सरकार ने तर्क दिया – “अब हम हाफ बिल नहीं, बल्कि मुक्त बिजली की ओर बढ़ रहे हैं।”
और इस “मुक्त बिजली” का आधार बनाया गया – प्रधानमंत्री सूर्यघर मुक्त बिजली योजना

योजना की हकीकत – खर्चा जनता का, फायदा किसका?

इस योजना में उपभोक्ता से कहा जा रहा है – घर पर सोलर पैनल लगाइए, खुद बिजली उत्पादक बन जाइए। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है।

  • 1 किलोवाट सिस्टम : लागत 60,000। सब्सिडी 45,000 (केंद्र 30,000 + राज्य 15,000)। उपभोक्ता खर्च – 15,000।
  • 2 किलोवाट सिस्टम : लागत 1,20,000। सब्सिडी 90,000 (केंद्र 60,000 + राज्य 30,000)। उपभोक्ता खर्च – 30,000।
  • 3 किलोवाट सिस्टम : लागत 1,89,000। सब्सिडी 1,08,000 (केंद्र 78,000 + राज्य 30,000)। उपभोक्ता खर्च – 72,000।
  • 3 किलोवाट से ऊपर : सब्सिडी तय – केंद्र 78,000 + राज्य 30,000। बाकी बोझ उपभोक्ता पर।

लेकिन यहां सबसे बड़ा पेंच है –
👉 उपभोक्ता को पहले पूरी लागत खुद चुकानी होगी।
👉 बैंक से लोन लेने पर सब्सिडी आने तक का पूरा ब्याज उपभोक्ता की जेब से जाएगा।
सरकार कहती है कि सब्सिडी 15–25 दिन में खाते में आ जाएगी, लेकिन सरकारी दावों और हकीकत का फासला जनता से बेहतर कौन जानता है?

आंकड़ों का खेल

CEIC की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2022 में छत्तीसगढ़ में 49 लाख घरेलू उपभोक्ता थे। (यह डेटा अब गूगल से हटा दिया गया है, सिर्फ लिंक बचा है।)
वहीं जनसंपर्क विभाग ने 4 अगस्त 2025 की प्रेस विज्ञप्ति में कहा – प्रदेश में 45 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनमें से 31 लाख 100 यूनिट से कम बिजली खपत करते हैं।

यानि 14 लाख उपभोक्ता 100 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करते हैं।
लेकिन सरकार कह रही है कि इस साल सिर्फ 60,000 कनेक्शन और अगले साल 70,000 कनेक्शन को ही सब्सिडी मिलेगी।
तो सवाल उठता है – बाकी 12 लाख 70 हजार उपभोक्ताओं का क्या होगा? क्या इन्हें सब्सिडी मिलने में 10 – 20 साल लगेंगे?

बिजली खरीदने-बेचने का रेट – सरकार के हिसाब से

उपभोक्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली का रेट स्लैब में तय है – 200 यूनिट तक अलग, 201 यूनिट पर अलग।
लेकिन उपभोक्ता द्वारा बनाई गई सौर बिजली का रेट अभी नियामक आयोग तक तय नहीं हुआ।
कभी 3.5 रुपये यूनिट था, अब 2.5 रुपये यूनिट कर दिया गया। इस साल और कम होने की आशंका है, जो अभी तक तय नहीं हुई है ।
यानि उपभोक्ता महंगी बिजली खरीदेगा, सस्ती में अपनी बनाई बिजली बेचेगा। फायदा किसका? बिजली कंपनी का!

अतिरिक्त चार्ज – “मुक्त बिजली” का खोखलापन

सोलर सिस्टम लगवाने के बाद भी उपभोक्ता पर ये सभी प्रभार वैसे ही लगेंगे –

  • नियत मांग प्रभार (₹20/माह तक 5 किलोवाट),
  • अनुबंध प्रभार,
  • न्यूनतम मासिक प्रभार,
  • 11% ड्यूटी,
  • VCA,
  • 10 पैसे प्रति यूनिट सेस

जब ये चार्ज हटने ही नहीं हैं तो फिर “मुक्त बिजली” का दावा आखिर है किसके लिए?

एक बात और

बिजली कंपनी प्रत्येक उपभोक्ता के लिए एक नंबर जारी करता है जिसे वह बीपी नंबर कहता है ।जिसका पूर्ण अर्थ है .बिजनेस पार्टनर नंबर .चलिए जब तक हम उपभोक्ता हैंतब तक आप हमें अपना वास्तविक पार्टनर नहीं समझते ।लेकिन जब हम प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत बिजली उत्पादन करके आपको बेच रहे हैं तब तो आप हमें पार्टनर समझिए ।और जिस प्रकार आप हमसे आज तक उपभोक्ता होने के चलते टैक्स लेते आए हैं,इस प्रकार हमारे उत्पादन की बिजली आपके द्वारा खरीदे जाने पर हमें भी टैक्स दीजिए,या उन टैक्स से मुक्त कीजिए जो आप प्रत्येक बिजली बिल में लगाते हैं ।लेकिन इस पर ना बिजली कंपनी बात करती है और ना ही सरकार

तकनीकी समस्या – लो वोल्टेज और इनवर्टर का खेल

गर्मी के दिनों में सर प्लस बिजली वाला राज्य होने पर भी छत्तीसगढ़ की जनता लो वोल्टेज से परेशान रहती है। लेकिन जैसे ही वोल्टेज 220 से नीचे जाता है, सोलर सिस्टम से जुड़ा हुआ इनवर्टर जो सोलर सिस्टम के साथ ही आता है और उसी के साथ इंस्टाल भी होता है वह आपके द्वारा विद्युत विभाग से ली गई बिजली से भी कनेक्ट रहता है ।लेकिन लो वोल्टेज होने पर जैसे ही वोल्टेज 220 से नीचे आता है वह इनवर्टर सोलर सिस्टम के उत्पादन को जीरो दिखाना शुरू कर देता है।
यानि अप्रैल–मई–जून की तपती धूप में भी उत्पादन Zero हो सकता है।
बरसात में बादल और गर्मी में लो वोल्टेज – दोनों हालात में नुकसान सिर्फ उपभोक्ता का।

इस तथ्य की सत्यता के लिए आप जनवरी माह में जिन उपभोक्ताओं के द्वारा सोलर सिस्टम लगवाया गया है उनसे जानकारी ले सकते हैं ।यह उनके मोर बिजली एप जो विद्युत विभाग एप है उसमें सोलर सिस्टम द्वारा किए जा रहे उत्पादनएवं उपभोक्ता द्वारा किए जा रहे हैं विद्युत विभाग द्वारा प्राप्त बिजली कनेक्शन का भी दिखाई देता है ।जो प्रत्येक घंटे की अपडेट उपभोक्ता तक पहुंचाता है ।

बिल कैलकुलेशन का पेच

सर्दियों में खपत कम और उत्पादन ज्यादा होगा। यह उत्पादन कैरी फॉरवर्ड होना चाहिए, लेकिन जानकारी कहती है कि ऐसा नहीं होगा।
प्रत्येक वित्तीय वर्ष में मार्च के महीने में कैलकुलेश
न होगा। और बची हुई यूनिट का पैसा आपको बहुत कम दर पर मिलेगा।जबकि यह यूनिट जो है वह कैरी फॉरवर्ड होना चाहिए ।क्योंकि ठंड के दिनों मेंउपयोग कम और गर्मी के दिनों में उपयोग ज्यादा होता है ।इस प्रकार बची हुई यूनिट्स का उपयोग उपभोक्ताअप्रैल में जून गर्मी के चिलचिलाते मौसम में कर सकता है ।लेकिन ऐसा होने की बात नहीं कहीं जा रही है ।
यानि फायदा बिजली कंपनी का, घाटा उपभोक्ता का।

प्राकृतिक आपदा के लिए जिम्मेदारी तय नहीं

प्रधानमंत्री सूर्यघर बिजली योजना अंतर्गत सोलर सिस्टम में प्राकृतिक आपदा के चलते सोलर सिस्टम सोलर प्लेट्स को होने वाले नुकसान के लिए अभी तक जिम्मेदारी तय नहीं हुई है ।

महासमुंद में रेलवे स्टेशन के पास एक उपभोक्ता के द्वारा रायपुर के वेंडर से सूर्यघर बिजली योजना में सोलर सिस्टम लगवाया गया । और 5 साल के मेंटेनेंस की गारंटी भी दी गई । लेकिन मौसम परिवर्तन होने पर आए अंधड़ तूफान में लगवाए गए सोलर सिस्टम में से एक सेट के सोलर पैनल उखड़ गए और उखड़ कर आंधी के दबाव मेंउड़ते हुए जमीन पर जा गिरे तथा छतिग्रस्त हो गए ।औ

जब उपभोक्ता ने इसके सुधार के लिए वेंडर से कहा तो वेंडर के द्वारा आंधी तूफान में क्षतिग्रस्त होने पर भरपाई का कोई भी प्रावधान एग्रीमेंट में नहीं होने की बात कही गई है । उपभोक्ता ने विद्युत विभाग में भी शिकायत की लेकिन उसे कोई लाभ नहीं हुआ ।जब स्थानीय मीडिया में इस मुद्दे को उठाया गया तब कहीं जाकर विद्युत विभाग के अधिकारी वेंडर से बात करने की बात कहते हुए नजर आए ।

इस प्रकार प्राकृतिक आपदा में प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत लगे हुए सोलर सिस्टम को नुकसान होने पर जिम्मेदारी तय नहीं हुई है ।जिसके चलते उपभोक्ता को आर्थिक नुकसान होने की संभावना लगातार बनी हुई है ।

जनता के साथ अन्याय

2023 के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक बिजली दरें तीन बार बढ़ चुकी हैं।
400 यूनिट तक की राहत वाली योजना खत्म हो चुकी है।
कहीं अब “मुक्त बिजली” के नाम पर जनता को कर्ज और ब्याज के बोझ में धकेला तो नहीं जा रहा है ? यह बहुत बड़ा प्रश्न है ।

प्रधानमंत्री सूर्यघर मुक्त बिजली योजना” कागज़ पर आकर्षक लगती है।
लेकिन असलियत यह है कि यह आम उपभोक्ता को राहत
देने के चांस बहुत कम है, बल्कि उसे पहले पैसा लगाने और फिर कर्ज़ में डालने का काम कर सकती है।
इसका फायदा उद्योगपतियों और कंपनियों का होगा, नुकसान छत्तीसगढ़ की आम जनता का।

सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं :जारी गाइडलाइनका करें अनुसरण

यदि आप सोलर सिस्टम अपने घर में इंस्टॉल करा रहे हैं तो फिर सरकार के द्वारा जारी किए गए गाइडलाइनका अक्षरशः पालन अवश्य करें ।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि

वेंडर चुनने में आप किसी भी प्रकार की लापरवाही ना करें।

सी.एस.पी.डी.सी.एल. में पंजीकृत वेंडर से ही सोलर सिस्टम लगवाएं

सोलर सिस्टम की अंतिम कीमत के लिए वेंडर से मोलभाव अवश्य करें,साथ हीमार्केट में स्थित अन्य वेंडर जो सी.एस.पी.डी.सी.एल. से रजिस्टर्ड हैउनसे सोलर पैनल का अंतिम मूल्य जानकर कंपेयर करें ।

साथ ही ध्यान रखें कि आपके द्वारा वेंडर से जो एग्रीमेंट हो रहा है उनमें प्राकृतिक आपदा इत्यादि के विषय में क्या नियम निर्धारित है ।

इसके अलावा सी.एस.पी.डी.सी.एल.के द्वारा जारी किए गए सोलर सिस्टम से संबंधित गाइडलाइन का अवश्य पालन करें ।

अन्यथा महासमुंद वाले उपभोक्ता की तरह ही आपको जवाब सुनना पड़ेगा ।

👉 यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
अगले भाग में हम इस सौर घर योजना से जुड़े हुए अन्य मुद्दों पर भी चर्चा अवश्य करेंगे।

Disclaimer ( अस्वीकरण)

उपरोक्त संपादकीय रिसर्च, गूगल रिसोर्स, प्रेस विज्ञप्ति, पोर्टल न्यूज़, समाचार पत्र,प्रचार पंपलेट तथा विद्युत विभाग के नियमों को जानने वाले नियमों की जानकारी लोगों के साथ चर्चा इत्यादि करने के पश्चात समीक्षात्मक रूप से जनहित को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है । इसमें ना किसी की प्रशंसा की गई है और ना ही किसी की आलोचना की गई है, अतः कोई भी इसे निजी तौर पर ना लेवें । उपरोक्त लेख पर आंख मूंदकर विश्वास ना करें । विश्वास करने से पहले तथ्यों को अवश्य टटोले साथ ही विद्युत संबंधी जानकारों से पूछे

डॉ.भास्कर राव पांढरे

डॉ.भास्कर राव पांढरे वर्ष 2010 से पत्रकारिता जगत से जुड़े हुए हैं । इन्होंने विभिन्न समाचार पत्रों में सह संपादक के पद पर अपने दायित्वों का व निर्वहन किया है ।2023 की विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के विभिन्न विधानसभाओं में जनता का अभिमत जानने के लिएजननायक कार्यक्रम लेकरपहुंचे थे , जो विधानसभा चुनाव के दौरान बहुत लोकप्रिय हुआ था । वर्तमान में यह The Howker News के प्रधान संपादक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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