cgnews

स्वर्गधाम सेवा समिति करेगी 690 अज्ञात मृतकों का सामूहिक पिंडदान….

अपनों के लिए तो सभी जीते हैं, पराए के लिए जीने का बीड़ा उठाया – अशोक पवार और एवंत गोलछा

धमतरी।
हिंदू सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। इसी परंपरा और श्रद्धा को आत्मसात करते हुए वर्ष 2004 में स्वर्गधाम सेवा समिति की स्थापना हुई। समिति ने आरंभ से ही मानव सेवा को अपना जीवन उद्देश्य मान लिया और ऐसे दिव्य कार्य शुरू किए, जिन्हें समाज ने श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वीकार किया।

समिति की स्थापना अध्यक्ष एवंत गोलछा और महासचिव अशोक पवार ने की थी। जब इस सेवा यात्रा का संकल्प लिया गया था, तब परिस्थितियां अत्यंत कठिन थीं। लेकिन दोनों ने बीड़ा उठाया कि जिनका कोई अपना नहीं है, वे उनके परिवार बनकर सेवा करेंगे। उनका लक्ष्य था कि लावारिस शवों को भी वही सम्मान मिले जो हर इंसान को मिलना चाहिए।

स्वर्गधाम सेवा समिति की यात्रा की शुरुआत एक लावारिस शव से हुई, जिसे न कोई पहचानता था और न कोई जानता था। उस क्षण से समिति के कार्यों की नींव पड़ी। तब से आज तक समिति लगातार ऐसे मृतकों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार करती आ रही है।

21 वर्षों की सेवा यात्रा और उपलब्धियां

पिछले 21 वर्षों में समिति ने हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। न केवल धमतरी, बल्कि आसपास के जिलों से भी लावारिस शव मिलने पर पुलिस-प्रशासन उन्हें स्वर्गधाम सेवा समिति को सौंपता है। समिति ने हर बार मृतकों का अंतिम संस्कार पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ किया।

  • अनजान और लावारिस शवों को मानवीय सम्मान दिलाना समिति का प्रमुख उद्देश्य रहा है।
  • समिति ने गरीब परिवारों के अंतिम संस्कार में भी सहयोग किया, ताकि आर्थिक अभाव के कारण किसी मृतक का सम्मान कम न हो।
  • समाज में मानवता और करुणा का संदेश देने में समिति एक मिसाल बन चुकी है।
  • समिति के कार्यों ने धमतरी ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ में एक नई सोच और प्रेरणा पैदा की है।

21 सितम्बर को होगा सामूहिक पिंडदान

समिति द्वारा बताया गया कि आगामी 21 सितम्बर को रुद्रेश्वर महानदी के पावन तट पर 690 अज्ञात मृतकों का सामूहिक पिंडदान किया जाएगा। इस अवसर पर समिति के सदस्य, धमतरी के गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि और श्रद्धालुजन उपस्थित रहकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए सामूहिक प्रार्थना करेंगे।

संदेश समाज के लिए

स्वर्गधाम सेवा समिति का यह आयोजन केवल मृतकों को सम्मान देने का प्रतीक नहीं है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि —
“अपनों के लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन असली जीवन वही है जो पराए और अज्ञात के लिए समर्पित हो।”

YOUTUBE
Back to top button