
महासमुंद मेडिकल कॉलेज की बड़ी उपलब्धि – 60 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 3 किलो का ट्यूमर
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता का मूल्यांकन अक्सर निजी और शासकीय संस्थानों की तुलना से किया जाता है। समाज में यह धारणा गहरी बैठी हुई है कि कठिन और जोखिमपूर्ण ऑपरेशन केवल निजी अस्पतालों में ही संभव हैं। लेकिन महासमुंद शासकीय मेडिकल कॉलेज ने इस भ्रांति को तोड़ते हुए चिकित्सा जगत में बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

19 सितम्बर 2025 को यहां के डॉक्टरों की टीम ने 60 वर्षीय महिला भरतमति सिदार का सफल ऑपरेशन कर उनके पेट से लगभग 3 किलोग्राम का विशाल ट्यूमर (सर्वाइकल फाइब्रॉएड) निकाला।
जोखिम से भरा हुआ मामला
मरीज लंबे समय से पेट में भारीपन और दर्द की समस्या से जूझ रही थी। जांच के दौरान न केवल गर्भाशय में बड़ा मास मिला, बल्कि यह भी सामने आया कि मरीज को पहले से हृदय रोग की गंभीर समस्या है – जिसमें ट्राइकसपिड रिगर्जिटेशन और मिट्रल रिगर्जिटेशन जैसी बीमारियां शामिल थीं। सामान्य हालात में यह ऑपरेशन करना चिकित्सकों के लिए बहुत बड़ा जोखिम था।

फिर भी, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने हिम्मत और कौशल दिखाते हुए हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन करने का निर्णय लिया और सफलता पूर्वक ट्यूमर को निकाल दिया।
सफलता के पीछे टीम वर्क
इस कठिन सर्जरी का नेतृत्व डॉ. नेहा ठाकुर, विभागाध्यक्ष, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने किया। टीम में डॉ. प्रतिमा कोशवारा, डॉ. महेंद्र धुआरे, डॉ. जूली, ओटी सिस्टर पूजा और तृप्ति ने अपनी अहम भूमिका निभाई। वहीं, डॉ. चंद्रपाल भगत और डॉ. विवेक ने एनेस्थेसिया टीम से ऑपरेशन को सफल बनाने में अमूल्य योगदान दिया।
ऑपरेशन के बाद महिला की स्थिति अब स्थिर है और वह स्वस्थ होकर शीघ्र ही घर लौटने की स्थिति में है।
आमजन के लिए राहत
अस्पताल अधीक्षक डॉ. बसंत माहेश्वरी ने टीम की सराहना करते हुए कहा कि यदि यही ऑपरेशन किसी निजी अस्पताल में किया जाता तो इसकी लागत कई लाख रुपये होती। लेकिन शासकीय मेडिकल कॉलेज में यह पूरी तरह निःशुल्क हुआ। यह केवल मरीज और उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण है, जो महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते।

सरकारी मेडिकल कॉलेजों का महत्व
यह उपलब्धि इस बात का सशक्त प्रमाण है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भी निजी संस्थानों की तरह आधुनिक तकनीक, विशेषज्ञता और कुशल प्रबंधन से लैस हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां उपचार हर वर्ग के लिए सुलभ और किफायती है।
आज जब स्वास्थ्य सेवाएं लगातार महंगी होती जा रही हैं, तब महासमुंद मेडिकल कॉलेज जैसी उपलब्धियां न केवल क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूती देती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि सही दिशा, संसाधन और टीम भावना हो तो सरकारी अस्पताल किसी भी निजी संस्थान को चुनौती दे सकते हैं।
महासमुंद मेडिकल कॉलेज की इस उपलब्धि ने यह संदेश दिया है कि सरकार द्वारा स्थापित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल केवल भवन या औपचारिकता नहीं हैं, बल्कि ये आमजन के जीवन को बचाने और बेहतर भविष्य देने का मजबूत आधार हैं।
60 वर्षीय महिला के पेट से 3 किलो का ट्यूमर निकालने की सफलता सिर्फ एक चिकित्सा उपलब्धि नहीं, बल्कि यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास जगाने वाला ऐतिहासिक क्षण है।
