
रूपेश – राकेश की जोड़ी कर रही है शासन के आदेशों की अवहेलना। कसेकेरा मेंआज तक आयोजित नहीं हुई विशेष ग्रामसभा…
: कसेकेरा पंचायत में शासन के आदेश की सरेआम अवहेलना
विशेष ग्रामसभा नहीं करवाई गई, सचिव-सरपंच और अधिकारी मौन – जवाबदेही से सभी ने झाड़ा पल्ला
बागबाहरा। विकासखंड बागबाहरा की ग्राम पंचायत कसेकेरा में छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना सामने आई है। पंचायत संचालनालय द्वारा 24 से 28 जून 2025 तक विशेष ग्रामसभा आयोजित करने के सख्त निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन यहां आज दिनांक तक कोई ग्रामसभा आयोजित नहीं की गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत कसेकेरा के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी शासन की मंशा को गंभीरता से नहीं लेते।
आदेश को रद्दी समझ बैठे पंचायत पदाधिकारी
छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत संचालनालय, नवा रायपुर द्वारा पत्र क्रमांक क्र/पंचा/972(1)/GENCOR/3533/2025 के माध्यम से स्पष्ट आदेश जारी किया गया था कि सभी पंचायतों में विशेष ग्रामसभा आयोजित कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इस पर अमल कराने के लिए जनपद स्तर पर प्रभारी अधिकारियों की सूची भी जारी कर दी गई थी। बावजूद इसके कसेकेरा पंचायत ने आदेश की ना केवल अनदेखी की, बल्कि उसकी सूचना तक नहीं दी।
सरपंच राकेश साहू का गैर-जिम्मेदाराना बयान
जब इस गंभीर मुद्दे पर ग्राम पंचायत सरपंच राकेश साहू से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने जवाबदेही से खुद को अलग करते हुए कहा कि –
“ग्रामसभा इसलिए नहीं करवाई गई क्योंकि सचिव रुपेश लाल ने पटवारी से राजस्व संबंधी जानकारी नहीं मिलने की बात कही थी।”
यह बयान यह दर्शाता है कि सरपंच ने न तो शासन के निर्देश को गंभीरता से लिया, न ही वैकल्पिक व्यवस्था कर ग्रामसभा सुनिश्चित करने का प्रयास किया। सरपंच का यह तर्क जिम्मेदारी से बचने का खोखला बहाना प्रतीत होता है।
सचिव, कृषि अधिकारी और कररोपण अधिकारी सभी पल्ला झाड़ते नजर आए
कररोपण अधिकारी मानसिंह बरिहा, जो कि पंचायत के प्रभारी कररोपण अधिकारी हैं, उन्होने बताया कि सचिव ने सरपंच की अनुपस्थिति का हवाला देकर सभा नहीं कराई।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मैं सिर्फ मैसेंजर हूं, हमने सूचना जनपद सीईओ को भेज दी है।”
इस तरह की टिप्पणी यह स्पष्ट करती है कि जिम्मेदार अधिकारी शासन के आदेशों को संप्रेषित करने मात्र को अपनी जिम्मेदारी मान रहे हैं, पालन कराना उनकी प्राथमिकता नहीं है।
सबसे गंभीर बात यह है कि —
📵 ग्राम पंचायत सचिव रुपेश लाल
और
📵 ग्रामसभा प्रभारी कृषि अधिकारी —
दोनों ने फोन कॉल तक उठाना मुनासिब नहीं समझा।
यह व्यवहार न सिर्फ गैर-पेशेवर है, बल्कि शासन और जनता दोनों के प्रति अनादर है।
जनपद सीईओ की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
जब इस विषय पर जनपद सीईओ एम.एल. मंडावी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्वयं को मीटिंग में व्यस्त बताते हुए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब जनपद स्तर पर भी जवाबदेही से बचा जा रहा हो, तो निचले स्तर पर अधिकारियों में डर और अनुशासन कैसे कायम होगा?
ग्रामसभा का न होना सिर्फ चूक नहीं – यह लोकतंत्र की अवमानना
ग्रामसभा पंचायत व्यवस्था की आत्मा है। यही मंच है जहां जनता को योजनाओं की जानकारी, भागीदारी और अधिकार मिलता है। लेकिन कसेकेरा पंचायत में इस मंच को जानबूझकर कुचला गया, जो शासन की मंशा के साथ-साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी सीधा आघात है।
तीनों जिम्मेदार दोषी – कठोर कार्रवाई अनिवार्य
✅ ग्राम पंचायत सचिव रुपेश लाल
✅ ग्राम पंचायत सरपंच राकेश साहू
✅ ग्रामसभा प्रभारी कृषि अधिकारी
— इन तीनों ने शासन के निर्देशों को लागू कराने में कोताही, लापरवाही और उपेक्षा बरती है। इनकी निष्क्रियता ने न केवल शासन की साख को ठेस पहुंचाई, बल्कि ग्रामीण जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया है।
👉 इनके खिलाफ तत्काल सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की मांग जनता कर रही है, ताकि पंचायत व्यवस्था में उत्तरदायित्व और अनुशासन की पुनर्स्थापना हो सके।
अब सवाल शासन से –
क्या दोषियों को दंड मिलेगा या यह मामला भी फाइलों में दम तोड़ देगा?कसेकेरा पंचायत की यह घटना शासन के लिए एक परीक्षण की घड़ी है — क्या आदेशों की अवहेलना पर जवाबदेही तय होगी? या फिर लोकतंत्र को कुचलने वाले ऐसे मामलों पर शासन की चुप्पी फिर एक दुर्भाग्यपूर्ण परंपरा बन जाएगी?