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खोपली की मातृ शक्ति का हल्ला बोल: अवैध शराब के खिलाफ़ मोर्चा, शराब माफिया के संरक्षण पर उठे सवाल

“गांव-गांव में बर्बादी का ज़हर, प्रशासन मौन – महिलाएं बनीं न्याय की मशाल”

बागबाहरा ।जहां एक ओर राज्य सरकार सुशासन तिहार के नाम पर गांव-गांव में समाधान शिविर आयोजित कर रही है, वहीं दूसरी ओर गांवों में अवैध शराब के धंधे रसुखदारों के संरक्षण में खुलेआम फल-फूल रहे हैं
प्रशासनिक लापरवाही और शराब माफियाओं से मिलीभगत के चलते युवाओं का भविष्य गर्त में जा रहा है और गांवों का सामाजिक ढांचा पूरी तरह से हिल गया है।

इस हालात के बीच महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम खोपली की महिलाओं ने जो साहस दिखाया है, वह पूरे जिले के लिए मिसाल है।

🔥 महिलाओं का प्रतिकार: अवैध शराब सामग्री जब्त

खोपली गांव में बीते कई महीनों से अवैध शराब का कारोबार खुलेआम चल रहा थागांव में आए दिन आपसी झगड़े, विवाद, अशांति और सामाजिक विघटन की खबरें आम हो चुकी थीं।

इससे त्रस्त होकर ग्राम की मातृशक्ति ने एकजुट होकर सीधे शराब अड्डों पर धावा बोला, और शांति भंग करने वालों के पास से कच्ची शराब बनाने की सामग्री को अपने कब्जे में ले लिया।
यह न सिर्फ साहसी कदम था, बल्कि प्रशासन को आईना दिखाने वाली घटना भी थी।

🧨 प्रशासनिक निष्क्रियता या शराब माफिया बेलगाम ?

महिलाओं का साफ कहना है कि –

“यह अवैध कारोबार रसुखदारों के संरक्षण में चल रहा है। जब तक प्रशासन कठोर कार्रवाई नहीं करता, ये अड्डे यूँ ही पनपते रहेंगे।”

ग्राम खोपली जैसे छोटे गाँवों में अवैध शराब बिक्री से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है
गांव के हर नुक्कड़ पर नशे के आदी लोग बैठते हैं, घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं, युवाओं में पढ़ाई और रोजगार के प्रति अरुचि आई है।

इस विरोध के बाद पुलिस मौके पर पहुँची है, लेकिन अब देखना यह होगा कि क्या कार्यवाही होगी ? क्या प्रशासन शराब माफियाओं पर नकेल कसेगा ?

📣 समाधान शिविर के मंच से उठा मुद्दा – अवैध दारू और अवैध बालू माफिया पर प्रहार

इसी कड़ी में आज बागबाहरा जनपद पंचायत अध्यक्ष केशव नायक राम चंद्राकर ने भी इस मुद्दे को समाधान शिविर मंच से उठाया।
कोमाखान क्षेत्र के ग्राम नर्रा में आयोजित “सुशासन तिहार – समाधान शिविर” के मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा –

“प्रदेश में सुशासन तब तक सपना है जब तक अवैध बालू और अवैध शराब माफियाओं पर कठोर कार्रवाई हो। प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों से निवेदन है कि अवैध बालू एवं अवैध दारू पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने का कष्ट करें ।”

उनका यह बयान प्रशासनिक निष्क्रियता की ओर इशारा करता है, और शासन-प्रशासन को कठघरे में खड़ा करता है

⚠️ सवाल बहुत हैं, जवाब कौन देगा?

  • क्या संबंधित विभाग सिर्फ खानापूर्ति की कार्यवाही कर देगा या इस प्रकार के मामलों के जड़ तक पहुंचेगा?
  • क्या रसुखदारों संरक्षण में पल रहे शराब माफिया बेनकाब होंगे?
  • क्या ग्राम खोपली की महिलाओं की यह लड़ाई पूरे जिले में आंदोलन का रूप लेगी?
  • और सबसे अहम – क्या सुशासन तिहार सिर्फ एक सरकारी औपचारिकता बनकर रह जाएगा?

ग्राम खोपली की महिलाएं आज पूरे प्रदेश के लिए एक सवाल बनकर खड़ी हैं –

“जब हम अपने बच्चों का भविष्य बचाने के लिए मैदान में उतर सकते हैं, तो प्रशासन क्यों चुप है?”

अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन शराब के खिलाफ़ सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, कार्रवाई करे।
यदि नहीं, तो ये आंदोलन सिर्फ ग्राम खोपली में ही नहीं रुकेगा – यह हर गांव की मातृशक्ति की आवाज़ बनकर पूरे राज्य में गुंजेगा ।

यह सिर्फ विरोध नहीं, यह एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है।

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