
महासमुंद। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आम नागरिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान की दिशा में एक प्रभावी कदम के रूप में सुशासन तिहार का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर चल रहे इस विशेष अभियान के तहत महासमुंद जिले में कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशन में राजस्व विभाग ने तत्परता और संवेदनशीलता के साथ नागरिकों की समस्याएं सुलझाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।
सीमांकन मामलों में तेज़ गति से समाधान
राजस्व विभाग के पास आने वाले सबसे आम लेकिन जटिल मामलों में सीमांकन की समस्या प्रमुख रही है। पहले इन मामलों का निराकरण महीनों, कभी-कभी वर्षों तक लंबित रहता था, जिससे आम नागरिकों को काफी परेशानी होती थी। लेकिन सुशासन तिहार के दौरान इन प्रकरणों को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।
ग्राम चौकबेड़ा के किसान ब्रज प्रसाद की भूमि का सीमांकन लंबे समय से लंबित था, जिससे उन्हें खेती में कठिनाई हो रही थी। अभियान के दौरान केवल दो दिनों में सीमांकन कार्य पूर्ण कर दिया गया, जिससे उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। इसी प्रकार, उपतहसील पटेवा के अंतर्गत किसान पंचराम और झाखरमुड़ा गांव के निवासियों की भूमि का सीमांकन भी त्वरित रूप से संपन्न किया गया।
छोटी लेकिन जरूरी समस्याओं पर भी विशेष ध्यान
इस अभियान की एक और खासियत यह है कि इसमें न केवल बड़े और जटिल प्रकरणों को हल किया जा रहा है, बल्कि आम जनजीवन से जुड़ी छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण समस्याओं का भी तत्काल समाधान किया जा रहा है। भू-अभिलेख की प्रतियां, सीमांकन रिपोर्ट की कॉपियां, किसान किताब, भूमि स्वामित्व में त्रुटियों का सुधार और खातों की अद्यतन जानकारी जैसे विषयों पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
दस्तावेजों का वितरण बना राहत का जरिया
डूमरपाली गांव के किसान महेशराम, ग्राम जगत के मीन केतन और राजकुमार को तहसीलदार द्वारा किसान किताबें सौंपी गईं। इसी तरह बागबाहरा क्षेत्र के तेंदुलोथा गांव की श्रीमती पुरी हरपाल को भी एक सप्ताह के भीतर किसान किताब प्रदान की गई, जो समय पर दस्तावेज़ उपलब्ध कराने की प्रशासनिक तत्परता को दर्शाता है।
विश्वास और जुड़ाव की नई शुरुआत
सुशासन तिहार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने आम जनता और प्रशासन के बीच विश्वास की एक नई डोर जोड़ी है। बसना के किसान पंचराम ने बताया, “अब हमें बार-बार तहसील नहीं जाना पड़ता, अधिकारी स्वयं गांव आकर हमारी समस्याएं हल कर रहे हैं।”
यह पहल केवल एक प्रशासनिक अभियान नहीं, बल्कि शासन और जनता के बीच सेतु निर्माण का एक सकारात्मक उदाहरण बनकर उभरी है। महासमुंद जिले में यह अभियान न सिर्फ समस्याओं का हल दे रहा है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही और मानवीय दृष्टिकोण को भी उजागर कर रहा है।