
आंधी की तबाही में टूटा गरीबों का आशियाना – बेघर हुए दर्जनों परिवार, नहीं मिला आवास योजना का सहारा!
*छुईखदान/:
गुरुवार की शाम आई 40 मिनट की तेज़ आंधी-तूफान ने ग्राम उदयपुर में तबाही मचा दी। दर्जनों गरीब परिवारों के घरों की टिन की छतें उड़ गईं। तपती गर्मी में सिर पर छत न होना किसी जलते तंदूर में रहने से कम नहीं! तापमान 40 डिग्री के पार — और ये मासूम परिवार खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर हैं।
सरकारी योजनाओं से वंचित सबसे ज़रूरतमंद!
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जिन्हें मिलना था, उन्हें नहीं मिला। कारण – गलत सर्वे, भ्रष्ट प्रणाली और पंचायतों में पकड़ का खेल! जिनका नाम लिस्ट में होना था, वो आज भी टीन की छत के सहारे थे – और अब वो भी नहीं रहा।
आज भी ऐसे अनेक परिवार हैं, जिनके पास आवाज़ उठाने का कोई मंच नहीं, कोई “पहचान” नहीं। नतीजा – खुले आकाश के नीचे एक दर्द भरी रात, हर दिन एक संघर्ष!
शादी वाले घरों में मातम का सन्नाटा
शादी के सीज़न में जहां घरों में खुशियों की शहनाई बजनी थी, वहाँ आज आंधी ने बजा दी बर्बादी की घंटी! कई घरों में विवाह कार्यक्रम चल रहा था, लेकिन छत उड़ने से सब कुछ उजड़ गया।
गरीब किसान और मज़दूर वर्ग के लोग साल भर की मेहनत के बाद अपने बच्चों की शादी करते हैं – और अब सब कुछ पानी-पानी।
प्रशासन कहाँ है?
क्या इन टूटे घरों और टूटी उम्मीदों को फिर से जोड़ने कोई आगे आएगा?
क्या इन बेघर हो चुके परिवारों को मिलेगा राहत, मिलेगा नया आसरा?
या फिर यह भी एक खबर बनकर फाइलों में दब जाएगी?
जनता पूछ रही है – क्या गरीब होना गुनाह है?
अब समय है, जब प्रशासन को ज़मीनी सच्चाई देखनी चाहिए। ज़रूरत है पुनः सर्वे की, ज़रूरत है तात्कालिक राहत की।
हर टूटी छत, हर बहता आँसू, अब आवाज़ बन चुका है – **क्या सुन रहा है सिस्टम ?