
धमतरी जिला पुलिस प्रशासन की साख दांव पर — सांकरा में खुलेआम जुआ, सुरक्षा व्यवस्था शर्मसार
सांकरा में कानून व्यवस्था ठप्प…
चौक – चौराहों में खुलेआम जुआ….
पुलिस बनी गूंगी गवाह….

धमतरी |धमतरी जिले के नगरी-सिहावा क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गई है। ग्राम सांकरा आज अपराधियों के लिए स्वर्ग और कानून के लिए शर्म का प्रतीक बन चुका है। चौक-चौराहों पर खुलेआम जुआ चल रहा है, लाखों के दांव लगाए जा रहे हैं, और पुलिस तंत्र अपनी आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है। शासन भले ही अपराध मुक्त समाज की बात करे, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि सांकरा में कानून अब सिर्फ कागजों में जिंदा है।
बस स्टैंड बना अपराध का केंद्र
सांकरा का बस स्टैंड अब यात्रियों का नहीं, बल्कि जुआरियों का ठिकाना बन चुका है। यहां रोजाना खड़खड़िया का फड़ सजता है, जहां दर्जनों लोग लाखों रुपये का दांव लगाते हैं। यह सिर्फ एक फड़ नहीं, बल्कि कानून की नाक पर बजता तमाचा है। आसपास के गांवों से लोग यहां पहुंचते हैं, और पूरे तंत्र की मिलीभगत से यह जुआरियों का साम्राज्य दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार यह अवैध खेल पिछले एक महीने से लगातार चल रहा है, और पुलिस को इसकी खबर न होना जनता की बुद्धि से खेलना है।
वायरल वीडियो ने उतार दिया कानून का नकाब
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। वीडियो में दिख रहा है कि चौक में दर्जनों लोग खुलेआम जुआ खेल रहे हैं, रुपये की गड्डियाँ चल रही हैं और आसपास लोग तमाशबीन बने हैं। यह दृश्य बताता है कि कानून की आबरू सरेआम लुट रही है और पुलिस प्रशासन मौन साधे बैठा है। वीडियो ने न सिर्फ अपराधियों की, बल्कि पूरे पुलिस तंत्र की निष्क्रियता की परतें उधेड़ दी हैं।
पुलिस की खामोशी या मिलीभगत?
गांववालों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर जुआ बिना पुलिस की सहमति या संरक्षण के चल ही नहीं सकता। सिहावा थाना क्षेत्र की यह चुप्पी अब संदेह से परे नहीं रही। आखिर किसके इशारे पर चौक में जुआ चल रहा है? क्या पुलिस सिर्फ सुविधा शुल्क की आड़ में आंखें मूंदे बैठी है? यह सवाल अब हर गली-मोहल्ले में गूंज रहा है।
कानून व्यवस्था की दुर्दशा उजागर
सांकरा में चल रहे इस जुए के फड़ ने साबित कर दिया है कि कानून व्यवस्था अब औपचारिकता भर रह गई है। जुआरियों को किसी सख्ती का डर नहीं, मानो उन्हें खुली छूट मिली हो। प्रशासनिक सुस्ती और पुलिस की नाकामी ने अपराधियों का हौसला इतना बढ़ा दिया है कि वे अब चौक में बैठकर कानून का मजाक उड़ा रहे हैं। अगर पुलिस ईमानदारी से कार्रवाई करे तो ऐसा फड़ एक दिन भी टिक नहीं सकता। लेकिन सवाल यह है कि क्या पुलिस वाकई कार्रवाई चाहती है या फिर यह “संरक्षण का सौदा” बन चुका है?
युवाओं का भविष्य दांव पर
इस तरह के जुआ फड़ न केवल अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि युवाओं का भविष्य भी निगल रहे हैं। मेहनतकश किसान और मजदूर वर्ग के युवा अब इन फड़ों के शिकार हो रहे हैं। धीरे-धीरे यह लत अपराध, चोरी, लूटपाट और नशे की ओर ले जा रही है। सामाजिक ढांचा चरमराने लगा है और गांव की संस्कृति खतरे में है। प्रशासन अगर अब भी नहीं जागा तो आने वाले समय में यह जुआ सिर्फ चौक तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समाज के हर कोने को खोखला कर देगा।
जनता के सब्र का बांध टूटा
वायरल वीडियो के बाद अब जनता का आक्रोश खुलकर सामने आ गया है। लोग पूछ रहे हैं — “क्या पुलिस को सांकरा का रास्ता नहीं पता?”, “दिनदहाड़े चौक में जुआ चल रहा है, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं?” ग्रामीणों ने साफ कहा है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे उच्च अधिकारियों से शिकायत करेंगे और जन आंदोलन छेड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे। अब जनता कानून नहीं, इंसाफ की मांग कर रही है।
पुलिस की साख दांव पर
अब यह मामला सिर्फ जुआ फड़ का नहीं, बल्कि पुलिस की साख और शासन की विश्वसनीयता का हो गया है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि अपराधियों पर नहीं, बल्कि पुलिस पर सवाल उठाने का वक्त आ गया है। सिहावा पुलिस को यह तय करना होगा कि वह कानून की रखवाली करेगी या अपराधियों की चौकीदारी।
सांकरा का यह चौक अब प्रशासन की परीक्षा बन चुका है। एक तरफ अपराधियों का दुस्साहस है, दूसरी तरफ जनता का आक्रोश। सवाल यह नहीं कि जुआ कब बंद होगा, बल्कि यह है कि क्या पुलिस के भीतर अब भी कानून की गरिमा जिंदा है या नहीं।
फिलहाल इतना तो तय है — सांकरा में दांव सिर्फ रुपये का नहीं, बल्कि पुलिस की ईमानदारी और कानून के अस्तित्व का लग चुका है।





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