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कोमाखान में छत्तीसगढ़ी लोककला की गूंज – पूनम विराट तिवारी और दिव्या तिवारी करेंगी सांस्कृतिक प्रस्तुति

कोमाखान। दशहरा और शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कोमाखान की धरती एक बार फिर लोककला और संस्कृति के रंगों से सराबोर होने जा रही है। छत्तीसगढ़ की ख्यातिप्राप्त लोकगायिका पूनम विराट तिवारी एवं प्रसिद्ध कलाकार दिव्या तिवारी अपनी लोकसंस्कृति को समर्पित टीम “रंग छत्तीसा” के साथ कोमाखान में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी।यह विशेष आयोजन 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार की रात 8 बजे को साप्ताहिक बाजार स्थल, कोमाखान (जिला महासमुंद) में संपन्न होगा। आयोजन को लेकर दशहरा उत्सव समिति कोमाखान की तैयारियां चरम पर हैं और क्षेत्र के लोगों में इस कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है।

लोककला और परंपरा का संगम

इस अवसर पर ‘रंग छत्तीसा’ की टीम पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोकगीतों, नृत्यों और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से लोकसंस्कृति की झलक पेश करेगी।यह मंच पूरे प्रदेश में लोक-रंग और आधुनिक अभिव्यक्ति के सुंदर मेल के लिए जाना जाता है। आयोजन समिति का कहना है कि यह सांस्कृतिक संध्या छत्तीसगढ़ की लोककला के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक सार्थक प्रयास होगी।

पूनम विराट तिवारी – लोकस्वर की पहचान

राजनांदगांव की सुप्रसिद्ध लोकगायिका पूनम विराट तिवारी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। वे न केवल एक कुशल गायिका हैं बल्कि छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य और रंगकर्म की भी सशक्त हस्ती हैं।उनके पति स्वर्गीय दीपक विराट तिवारी भी प्रख्यात लोककलाकार और अभिनेता थे, जिन्होंने पद्मश्री हबीब तनवीर सहित देश के कई दिग्गज कलाकारों के साथ मंच साझा किया था।

💔 माँ जिसने बेटे को गीत से दी थी अंतिम विदाई

पूनम तिवारी का जीवन संघर्ष और साहस की मिसाल है। वर्ष 2019 में उन्होंने अपने पुत्र सूरज तिवारी को हृदय रोग के कारण खो दिया, लेकिन बेटे की आखिरी इच्छा “माँ, मुझे रोकर नहीं, गाकर विदा करना” को पूरा करते हुए उन्होंने ‘चोला माटी के हे राम’ गीत गाकर अंतिम विदाई दी।यह क्षण छत्तीसगढ़ की मिट्टी ही नहीं, बल्कि पूरे देश को भावुक कर गया।

🎶 “चोला माटी के हे राम” से मिली अमर पहचान

उनकी आवाज़ में गाया गया यह गीत आज छत्तीसगढ़ी लोकजीवन की आत्मा बन चुका है। पूनम तिवारी ने अपने स्वर और अभिनय से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को देशभर में सम्मान दिलाया, और मंच “रंग छत्तीसा” के माध्यम से उसे पीढ़ियों तक जीवित रखने का कार्य कर रही हैं।

आयोजन समिति की अपील

दशहरा उत्सव समिति कोमाखान ने समस्त नगरवासियों से आग्रह किया है कि वे परिवार सहित इस सांस्कृतिक आयोजन में शामिल होकर छत्तीसगढ़ की अमूल्य लोककला और परंपरा को सहेजने के इस प्रयास में सहभागी बनें।

कार्यक्रम: 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)

समय: रात 8 बजे से

स्थान: साप्ताहिक बाजार स्थल,

कोमाखान, जिला महासमुंद

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