C.G.
Trending

श्रद्धा सुमन : हँसी को धरोहर बनाकर चले गए सुरजीत नवदीप

हास्य के शिखर पुरुष सुरजीत नवदीप का निधन….

काव्यजगत और धमतरी ने खोया अपना उज्ज्वल सितारा….

धमतरी।आज धमतरी की फिज़ा में एक अजीब सी ख़ामोशी है। जिस शहर ने देशभर को हँसी और ठहाकों का तोहफ़ा दिया, वही शहर आज अपने प्रिय हास्य कवि सुरजीत नवदीप को अंतिम विदाई की तैयारी में है। 89 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

हँसी के आकाश का उज्ज्वल सितारा

साहित्य जगत में सुरजीत नवदीप का नाम उस उज्ज्वल सितारे की तरह है, जिसने मंच पर आते ही वातावरण बदल दिया। उनकी कविताओं में हास्य की मिठास और व्यंग्य की धार का ऐसा संगम होता था कि श्रोता लोटपोट हो जाते थे। उनकी शैली चुटीली थी, लेकिन उद्देश्य गहरा। वे जानते थे कि हँसी केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को आईना दिखाने का सबसे असरदार साधन है।

धमतरी की पहचान और परिवार का गर्व

धमतरी के लिए सुरजीत नवदीप सिर्फ एक कवि नहीं, बल्कि शहर की पहचान थे। उन्होंने धमतरी की मिट्टी को राष्ट्रीय मंच पर पहुँचाया। वे कांग्रेस नेता मंजीत छाबड़ा के पिता और प्रीतपाल छाबड़ा के दादा थे। परिवार का यह गर्व आज शोक में डूबा है।

कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपना 89वां जन्मदिन परिवारजनों और शुभचिंतकों के साथ मनाया था। उस दिन की उनकी प्रसन्नता मानो जीवन का उत्सव थी। लेकिन किसे पता था कि यह उनका अंतिम जन्मदिन होगा।

अंतिम यात्रा और अपूरणीय क्षति

उनकी अंतिम यात्रा 16 सितंबर को निवास स्थान से निकलेगी। निश्चय ही धमतरी की गलियाँ उस समय एक प्रिय कवि को अलविदा कहते हुए गमगीन होंगी।

उनका जाना साहित्य और समाज दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कविताएँ, उनकी आवाज़ और उनका अंदाज़ अब मंचों पर भले न दिखे, पर यादों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।

हँसी को धरोहर बना गए

संपादकीय दृष्टि से देखें तो सुरजीत नवदीप ने यह सिद्ध किया कि हँसी भी एक गंभीर साहित्यिक विधा हो सकती है। उन्होंने यह भी सिखाया कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी मुस्कान ज़िंदगी का सबसे बड़ा संबल है।

आज जब हम उन्हें विदा कर रहे हैं, तो उनके शब्द याद आते हैं कि —
मंच पर बुलाओ तो हँसी से रुला दूँगा,
याद करोगे तो आँखों को भी भिगो दूँगा।”

सुरजीत नवदीप अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी हँसी, उनके शब्द और उनका जीवन दर्शन हमेशा अमर रहेंगे।

YOUTUBE
Back to top button