
सम्मान मंच पर गूंजा असंतोष की गूंज — भाजपा के कद्दावर नेता अजय चंद्राकर ने किया सम्मान लेने से इनकार
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विकांत शर्मा, धमतरी
धमतरी, छत्तीसगढ़। राजनीतिक शिष्टाचार और संगठनात्मक अनुशासन के मंच पर उस समय असहजता की स्थिति उत्पन्न हो गई जब भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री एवं कुरूद विधायक अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री निवास में आयोजित सम्मान समारोह में खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सम्मान लेने से इंकार कर दिया।
यह घटना प्रदेश भाजपा के आंतरिक हालात को उजागर करने वाली बन गई, जिसने पूरे आयोजन की दिशा ही बदल दी।


मुख्यमंत्री निवास में सम्मान समारोह — अचानक बदला माहौल
यह समारोह भाजपा में सदस्यता अभियान के तहत उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था। मंच पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरणदेव और उपमुख्यमंत्री अरुण साव जैसे शीर्ष नेता मौजूद थे।
जैसे ही अजय चंद्राकर का नाम मंच से पुकारा गया, वे अनमने ढंग से मंच की ओर बढ़े। जब प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें गमछा ओढ़ाने की कोशिश की, तो चंद्राकर ने प्रतीकात्मक रूप से नाराजगी जताते हुए वह गमछा वापस प्रदेश अध्यक्ष के हाथ में थमा दिया। मंच पर मौजूद हर व्यक्ति अवाक रह गया।
गमछा लौटाया, सम्मान ठुकराया — मंच पर खिंच गई लकीर
इस सम्मान कार्यक्रम का उद्देश्य था संगठन के प्रति समर्पण भाव को रेखांकित करना, लेकिन अजय चंद्राकर की नाराजगी ने यह संकेत दे दिया कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है। उन्होंने न सिर्फ सम्मान लेने से इनकार किया बल्कि जिस गमछे को प्रतीक रूप में पहनाया गया था, उसे भी भाजपा अध्यक्ष किरणदेव को पहना दिया।
उपमुख्यमंत्री को मजबूरन पहनाना पड़ा गमछा
समारोह में एक क्षण ऐसा भी आया जब उपमुख्यमंत्री अरुण साव अजय चंद्राकर को गमछा पहनाने आए, लेकिन चंद्राकर मंच से आगे बढ़ गए। ऐसे में अरुण साव को मजबूरी में गमछा उनके कंधे पर डालना पड़ा — यह दृश्य मानो राजनीतिक रिश्तों की जटिलता का जीवंत चित्रण था।
क्यों फूटा अजय चंद्राकर का आक्रोश — संगठन से जुड़ी बड़ी उपेक्षा
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर न सिर्फ भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के सबसे निष्ठावान और समर्पित चेहरों में शुमार हैं।
उन्होंने पार्टी की सेवा तन, मन, धन से की है।
चाहे संगठनात्मक मजबूती की बात हो या शासन में नीतिगत निर्णयों का संचालन — अजय चंद्राकर ने हमेशा पार्टी को प्राथमिकता दी।
लेकिन बीते कुछ वर्षों से यह देखने में आया है कि इतने बड़े कद और योगदान के बावजूद, संगठन और सरकार में उन्हें वाजिब स्थान और मान्यता नहीं दी जा रही है।
कई बार रणनीतिक बैठकों और निर्णयों में उनकी उपस्थिति या भूमिका गौण कर दी जाती है।
यह उपेक्षा केवल राजनीतिक नहीं — व्यक्तिगत सम्मान से भी जुड़ा है।
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि यह नाराजगी सिर्फ एक गमछा लौटाने भर की नहीं, बल्कि एक जमीनी नेता की आंतरिक पीड़ा और संगठनात्मक असंतुलन की सार्वजनिक अभिव्यक्ति है।
मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष के सामने नाराजगी — क्या है इसका संकेत
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव के समक्ष इस तरह खुलकर असंतोष प्रकट करना, यह साफ संकेत देता है कि भाजपा के भीतर असंतोष की चिंगारी अभी भी सुलग रही है। वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी, संगठन में कद्र की कमी और अंदरूनी खींचतान अब मंचों पर दिखाई देने लगी है।
कार्यक्रम के बाद उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने सम्मान समारोह की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
- क्या भाजपा अपने वरिष्ठ नेताओं को वह सम्मान दे रही है, जिसके वे हकदार हैं
- क्या अजय चंद्राकर जैसे नेता की नाराजगी संगठन में दरार का संकेत है
- क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत असंतोष है या व्यापक संगठनात्मक असंतुलन का लक्षण
“वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान कुरूद विधायक श्री चंद्राकर से उनका पक्ष जानने का प्रयास जब हमारे द्वारा किया गया तो उनसे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया……”
राजनीतिक संदेश साफ है
सम्मान की अस्वीकृति एक प्रतीक है — यह चुप्पी नहीं, एक सार्वजनिक संवाद की शुरुआत है।
अजय चंद्राकर ने यह जता दिया है कि संगठनात्मक अनुशासन की चादर के नीचे दबे असंतोष अब सतह पर आने लगे हैं। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस संकेत को गंभीरता से लेना होगा, अन्यथा यह असंतोष राजनीतिक संकट में बदल सकता है।
यह घटना सिर्फ एक सम्मान लौटाने की नहीं, बल्कि एक वरिष्ठ नेता की उपेक्षा और राजनीतिक व्यवस्था के भीतर मौजूद असंतुलन की गूंज है।
अगर भाजपा जैसे संगठित दल को अपनी भीतरी ताकत को बरकरार रखना है, तो उसे अपने सबसे अनुभवी और समर्पित सिपाही की नाराजगी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।