
क्राइम स्टोरी : जिसे मान लिया गया था मृत, वह 9 महीने बाद लौटी घर…..
9 महीने बाद लौटी लड़की, जिसे मृत मान लिया गया था — कब्र से निकलीं पुरानी हड्डियाँ, पुलिस जांच में नया मोड़
गरियाबंद, छत्तीसगढ़:
साल 2024 की अगस्त महीने की एक बरसात भरी रात, गरियाबंद ज़िले के चलना पदर गांव में एक 16 वर्षीय किशोरी अचानक लापता हो जाती है। परिजन चिंतित, गांव में बेचैनी और प्रशासन के पास कोई ठोस जानकारी नहीं। महीने दर महीने बीतते गए, लेकिन लड़की का कोई सुराग नहीं मिला। सबके मन में एक ही सवाल था – आखिर वो कहां चली गई?
कब्र की खुदाई और कंकाल मिलने से मचा हड़कंप
लगभग नौ महीने बाद, गांव के ही एक व्यक्ति, 40 वर्षीय लालधर गौड़ पर शक जताया गया। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की, और इसी दौरान लालधर ने कबूल किया कि “लड़की को श्मशान में दफनाया गया था।” यह सुनते ही पुलिस और राजस्व विभाग की टीम कब्र की खुदाई के लिए पहुंची।
मिट्टी हटाई गई, और वहां से एक मानव कंकाल बरामद हुआ। गांव में मातम छा गया। सबको यही लगा कि अब मामला साफ हो गया है। लेकिन जांच की रिपोर्ट ने सभी कयासों को झुठला दिया।
फॉरेंसिक रिपोर्ट ने सब कुछ पलट दिया
जांच में पता चला कि जो कंकाल कब्र से निकला था, वह करीब 10 साल पुराना था। यानी, वह हाल ही में गायब हुई किशोरी का नहीं था। यह खुलासा मामले को और उलझा देता है—अब सवाल था कि लड़की कहां है? और क्या लालधर को झूठे आरोपों में फंसाया गया?
ग्रामीणों का विरोध, लालधर को निर्दोष बताकर थाने का घेराव
27 मार्च 2025 को आदिवासी समुदाय के लोगों ने आदिवासी विकास परिषद के नेतृत्व में देवभोग थाने का घेराव किया। सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम ने पुलिस पर आरोप लगाया कि लालधर को गलत तरीके से फंसाया गया और प्रताड़ित किया गया। ग्रामीणों ने एकजुट होकर लालधर के पक्ष में आवाज़ उठाई और न्याय की मांग की।
और फिर हुआ चौंकाने वाला मोड़ — लड़की लौट आई
13 मई 2025 की रात करीब 9 बजे, चलना पदर गांव के कुरलापारा इलाके में एक घर का दरवाज़ा खटखटाया गया। दरवाज़ा खुलते ही सामने वही लड़की खड़ी थी—जिसे पूरे गांव ने मृत मान लिया था। मां ने बेटी को देखा और भावुक होकर बेहोश हो गई।
लड़की ने बताया कि वो पिछले 9 महीनों से बालोद ज़िले में एक रिश्तेदार के घर रह रही थी। अब सवाल यह उठता है कि वह वहां क्यों गई थी? क्या उसे किसी ने मजबूर किया था? या यह उसका स्वयं का निर्णय था?
बयान से खुलेगा रहस्य
थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह के अनुसार,
“जब लड़की गायब हुई, तब वह नाबालिग थी। अब वह बालिग है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 183 के तहत उसका बयान न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा। यदि कोई आपराधिक तथ्य सामने आता है, तो आगे की कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में की जाएगी।”
अब भी कई सवाल बाकी हैं:
- क्या लड़की खुद ही गई थी या किसी के दबाव में?
- क्या लालधर को जानबूझकर फंसाया गया था?
- क्या कब्र की खुदाई सिर्फ एक गलतफहमी थी या किसी साजिश का हिस्सा?
क्या अब यह मामला सुलझ चुका है, या रहस्य की परतें अभी और खुलनी बाकी हैं?
इस पूरे घटनाक्रम का फैसला अब उस बयान पर निर्भर करता है, जो अदालत में दर्ज होगा। वही बयान इन 9 महीनों की गुमनामी, शक और सच्चाई का पर्दाफाश करेगा।
