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रायपुर नगर निगम के प्रशासन में बड़ा बदलाव: डिप्टी कलेक्टर स्तर के अफसर होंगे जोन प्रभारी

रायपुर सहित दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर जैसे प्रमुख नगरीय क्षेत्रों में प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में राज्य प्रशासनिक सेवा (राप्रसे) के अधिकारियों की नियुक्ति की तैयारी तेज हो गई है। संभावना है कि मई के अंत तक रायपुर नगर निगम के सभी 10 जोनों में डिप्टी कलेक्टर स्तर के अफसरों की नियुक्ति कर दी जाएगी।

इस प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत नगर निगम रायपुर में की जा रही है, जहां तकरीबन 15 राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया जा सकता है। पहले भी निगम में ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है—जैसे तारनप्रकाश सिन्हा, पुलक भट्टाचार्य और अरविंद शर्मा—जिन्होंने विभिन्न उच्च पदों पर सेवाएं दी हैं।

जोनों में असंतुलित पदानुक्रम और ग्रेड पे की असमानता

फिलहाल निगम के जोन आयुक्त के पदों पर नगरपालिका सेवा के अधिकारी कार्यरत हैं, जिनका ग्रेड पे 5400 है। वहीं, उन्हीं जोनों में कार्य कर रहे कार्यपालन अभियंता का ग्रेड पे 6600 है, जो उनसे ऊंचे स्तर का है। इससे न केवल प्रशासनिक असंतुलन बनता है, बल्कि कार्य कुशलता पर भी असर पड़ता है। नए डिप्टी कलेक्टर स्तर के अफसरों की तैनाती के बाद ग्रेड पे में संतुलन बनाए रखने के लिए तत्काल प्रमोशन की जरूरत होगी।

सेटअप नियमों का उल्लंघन और उच्च पदों की गलत नियुक्तियां

नगर निगम में अपर आयुक्त जैसे पदों पर नियुक्त अधिकारियों के लिए निर्धारित ग्रेड पे 7600 है, लेकिन वर्तमान में पदस्थ अधिकारी इस मानक को पूरा नहीं करते, जिससे सेटअप की शर्तों का उल्लंघन हो रहा है। इसी तरह जोन कमिश्नर पद पर भी नियमों के विरुद्ध प्रतिनियुक्तियां की गई हैं।

स्वास्थ्य और सफाई विभाग में योग्य विशेषज्ञों की कमी

स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विभाग के लिए निगम के सेटअप में केवल एमबीबीएस या आयुर्वेद चिकित्सकों की नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन कई वर्षों से इस नियम के विपरीत होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है। वर्तमान में डॉ. तृप्ति पाणिग्रही और डॉ. दिव्या चंद्रवंशी इस पद पर कार्यरत हैं। इस विषय पर संचालनालय स्तर पर गंभीर मंथन चल रहा है, और वर्षों से सैनेटरी एक्सपर्ट की मांग की जा रही है।

25 अधिकारियों की मांग, कामकाज पर असर का हवाला

नगरीय प्रशासन संचालनालय ने अवर सचिव को पत्र भेजकर 25 राप्रसे अधिकारियों की मांग की है, जिन्हें अपर आयुक्त, उपायुक्त और जोन आयुक्त जैसे पदों पर नियुक्त किया जाएगा। संचालनालय ने यह भी माना है कि वर्तमान व्यवस्था से नगर निगमों में कार्य प्रभावित हो रहा है, क्योंकि जो अधिकारी नगर निगमों में नियुक्त हैं, उनके चलते नगरपालिका और नगर पंचायतों में मुख्य नगरपालिका अधिकारियों की पदस्थापना प्रभारी के रूप में की जा रही है।

प्रशासनिक मजबूती की दिशा में बड़ा कदम

यह फेरबदल केवल कर्मचारियों की अदला-बदली भर नहीं है, बल्कि यह एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक सुधार का हिस्सा है, जिससे नगरीय निकायों के कामकाज में पारदर्शिता, कुशलता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी। संचालनालय ने इसे प्रशासनिक दृष्टिकोण से अनिवार्य बताया है।

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