
सुंदरगंज मेनोनाइट चर्च की 125वीं वर्षगांठ । दो दिवसीय आस्था महोत्सव में होंगे विविध आध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम

सुंदरगंज मेनोनाइट चर्च की 125वीं वर्षगांठ । दो दिवसीय आस्था महोत्सव में होंगे विविध आध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम
धमतरी। शहर का ऐतिहासिक सुंदरगंज मेनोनाइट चर्च इस वर्ष अपनी स्थापना के 125 वर्ष पूरे कर रहा है। आम के पेड़ के नीचे प्रारंभ हुई यह आस्था-यात्रा आज एक विशाल और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध भवन के रूप में खड़ी है, जो न केवल धमतरी बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का गौरव माना जाता है। ‘मेनोनाइट चर्च ऑफ इंडिया’ की यह माता मंडली आज भी आस्था, प्रेम और सेवा के संदेश को आगे बढ़ा रही है। इसी विरासत के सम्मान में 13 और 14 दिसंबर को दो दिवसीय भव्य समारोह आयोजित किया गया है। समारोह का मुख्य उद्देश्य बाइबिल के संदेश—“हम वचन और जीभ से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें” (1 यूहन्ना 3:18)—को समाज में उतारना है। कार्यक्रम का शुभारंभ 13 दिसंबर को पंजीयन के बाद रेव्ह. आशीष मिलाप की प्रारंभिक प्रार्थना से होगा। इसके पश्चात् दीप प्रज्ज्वलन, स्वागत भाषण, नृत्य एवं स्वागत गीत की प्रस्तुतियाँ होंगी। जुबली क्वायर द्वारा उद्देश्य गीत प्रस्तुत किया जाएगा, वहीं सुंदरगंज मेनोनाइट चर्च का संक्षिप्त इतिहास रेव्ह. दीपक मसीह, रेव्ह. पी.के. सिंह, सोमिल मार्क और श्रीमती नीता सालोमन के द्वारा साझा किया जाएगा। इसी कड़ी में स्मारिका विमोचन और वृक्षारोपण कार्यक्रम भी होगा। भोजनावकाश के बाद आयोजित सत्र में डॉ. नीरज नेताम अगुवाई करेंगे। इस दौरान जुबली क्वायर का स्तुति-गान होगा तथा मूल्यांकन और भविष्य की दिशा विषय पर सेवक एस.सी. ख्रिस्ट्री एवं सेवक अनिल राघवा अपने विचार रखेंगे। चर्च में सेवा दे चुके पूर्व सेवकों, पासवानों और वरिष्ठ सदस्यों का सम्मान भी कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण होगा। सम्मान समारोह का संचालन श्रीमती थेलमा महतो और स्वागत समिति करेगी।संध्याकालीन आराधना की अगुवाई सेविका अर्चना नेताम करेंगी, जिसके पश्चात् विशप उपदेश देंगे। शाम को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें युवा, बच्चे और महिलाएँ नृत्य, गीत एवं लघु नाटिकाओं की प्रस्तुति देंगी। उत्सव के समापन पर आकर्षक आतिशबाजी भी रखी गई है।चर्च प्रबंधन समिति ने सभी श्रद्धालुओं और नागरिकों से अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने की अपील की है। 125 वर्षीय यह विरासत न केवल धमतरी की पहचान है, बल्कि समाज में प्रेम, आस्था और एकता का प्रतीक भी है।





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